दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए भाजपा ने बैजयंत पांडा को चुनाव प्रभारी बनाकर एक बड़ा दांव खेला है। उनकी कुशल रणनीति और नगर निगम चुनाव की सफलता को देखते हुए, भाजपा इस बार आम आदमी पार्टी को पटखनी देने की तैयारी में है। क्या भाजपा दिल्ली में अपना खोया किला वापस पा सकेगी? पढ़ें पूरी खबर।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: भाजपा ने खेला बड़ा दांव, बैजयंत पांडा बने चुनाव प्रभारी
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों में भाजपा ने अपनी रणनीति का आगाज कर दिया है। पार्टी ने इस बार चुनावी मोर्चे पर बड़ा दांव खेलते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा को चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है, जिनके नेतृत्व में भाजपा ने पिछला नगर निगम चुनाव विपरीत परिस्थितियों में भी सम्मानजनक तरीके से जीता था। साथ ही, गाजियाबाद के सांसद अतुल गर्ग को सह-प्रभारी बनाया गया है, जो इस बार भाजपा की चुनावी रणनीति को नई धार देने का काम करेंगे।
दिल्ली नगर निगम चुनाव के दौरान, जहां आम आदमी पार्टी की लहर ने अन्य दलों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था, वहीं बैजयंत पांडा के नेतृत्व में भाजपा ने 272 वार्ड में से 104 वार्ड में जीत दर्ज की थी। इस सफलता के बाद भाजपा को उम्मीद है कि वह दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के किले को भेदने में सफल होगी।
भाजपा की रणनीति में तेजी:
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने दिल्ली में भी चुनावी तैयारियों का बिगुल बजा दिया है। सदस्यता अभियान, जनसंपर्क, और आम आदमी पार्टी पर सीधा हमला—ये सभी भाजपा की रणनीति का हिस्सा हैं। जल्द ही पार्टी सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में सर्वे कराने की तैयारी में है, ताकि यह तय हो सके कि कौन-कौन से नेता चुनावी मैदान में उतरने के लिए सबसे उपयुक्त होंगे। साथ ही, वर्तमान विधायकों के क्षेत्रों में भी सर्वे होगा ताकि संभावनाओं का सही आकलन किया जा सके।
बैजयंत पांडा पर दांव क्यों?
चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि बैजयंत पांडा की कार्यशैली और उनके बूथ मैनेजमेंट का अनुभव भाजपा के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव में गेमचेंजर साबित हो सकता है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा महज 8 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई थी, लेकिन इस बार पार्टी के अंदर एक नया उत्साह देखा जा रहा है। बैजयंत पांडा का सफल नेतृत्व और दिल्ली भाजपा के नेताओं के साथ उनकी कुशल तालमेल क्षमता पार्टी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है।
क्या भाजपा आम आदमी पार्टी को मात दे पाएगी?
आम आदमी पार्टी ने 2015 के विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटों पर जबरदस्त जीत हासिल की थी। 2020 में भी पार्टी ने भाजपा को पीछे छोड़ते हुए सत्ता में वापसी की। लेकिन इस बार भाजपा पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर रही है, और उम्मीद कर रही है कि आम आदमी पार्टी की पकड़ कमजोर होगी। पार्टी का मुख्य फोकस जनता से जुड़े मुद्दों पर होगा, जिनमें भ्रष्टाचार और विकास प्रमुख रहेंगे।
निष्कर्ष:
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने कमर कस ली है, और बैजयंत पांडा की नियुक्ति इस बात का संकेत है कि पार्टी इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा इस बार आम आदमी पार्टी के खिलाफ एक मजबूत चुनौती पेश कर पाएगी या नहीं।