मणिपुर: जिस प्रकार मानव जाति के विभिन्न समुदाय होते हैं, वैसे ही भारत के विभिन्न राज्यों में भी अलग-अलग समुदाय होते हैं। इन समुदायों के बीच जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए संविधान ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की विशेष संरचना बनाई है। इन समुदायों की संरचना में स्थानांतरण के दौरान उन्हें विशेष उपलब्धियों का भी आश्वासन दिया गया है।
लेकिन मणिपुर में हाल ही में हुए घटनाक्रमों ने इस समुदाय के लोगों की ज़िंदगी में उठे सवालों को फिर से उजागर कर दिया है। यहां बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने का विरोध हो रहा है। इस विरोध प्रदर्शन ने उग्र रूप ले लिया है और विभिन्न संगठनों ने इसका विरोध करने के लिए ‘आदिवासी एकता मार्च’ का आह्वान किया। इसके दौरान हिंसा भी भड़क गई थी।
इस बीच, शुक्रवार को सामने आई खबरों के अनुसार मणिपुर में ट्रेनों की आवाजाही पर रोक लगने की जानकारी सामने आई। वहीं भारतीय सेना ने बताया कि अब मणिपुर में हालात नियंत्रण में हैं। सभी कर्मचारियों द्वारा मिलकर कार्रवाई करने से हालात को काबू में लाया जा सका है।
मणिपुर सरकार ने गुरुवार को आदिवासियों और मेइती समुदाय के बीच बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए अत्यधिक गंभीर मामलों में उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया गया था। इसके अलावा, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने मणिपुर सरकार की सलाह पर ट्रेनों की आवाजाही पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। एनएफ रेलवे के सीपीआरओ सब्यसाची डे के अनुसार, हालात जबतक सही नहीं हो जाते हैं, तब तक कोई ट्रेन मणिपुर में प्रवेश नहीं करेगी। भारतीय रेलवे ने बताया कि चार ट्रेनों को अब रद्द कर दिया गया है। यह फैसला फिलहाल दो दिन (5 और 6 मई) के लिए लिया गया है।
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के प्रवक्ता ने शुक्रवार को बताया कि सेवा बहाल करने का निर्णय स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को चलने वाली अगरतला-खोंगसांग जनशताब्दी एक्सप्रेस और दैनिक सिलचर-वांगईचुंगपाओ पैसेंजर ट्रेन को बीच में ही रोक दिया गया है। डे ने कहा, ”इन ट्रेनों को असम सीमा पर अरुणाचल रेलवे स्टेशन पर रोक दिया जाएगा।”
मणिपुर में अशांत क्षेत्र में रहने वाले सशस्त्र बल के सैनिकों और पूर्व सैनिकों की सहायता के लिए कई जगह हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं। ये हेल्प डेस्क पर्यटकों के लिए भी सहायता करेंगे। सेना ने इन नंबरों को एसएमएस के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की अपील की है। ये नंबर चौबीस घंटे काम करेंगे।