आगे बढ़ती जंगली आग के खिलाफ वन विभाग के जंगली योद्धाओं की मुकाबला, जिसमें वायुमंत्री के बजट और ग्रामीण सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है।
प्रदेश के जंगल लगातार आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बजाय सिर्फ स्पष्टीकरण की मांग की जा रही है। जंगल में लगी आग के दोषियों को कुछ लोगों ने पकड़ा लिया है और उन पर मुकदमे भी चलाए जा रहे हैं। हालांकि, आगे बढ़ती जंगली आग के मामले में क्षेत्रीय वन अधिकारियों का कोई योगदान नहीं है। पिछले दिनों, कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने एक घटना का संदर्भ दिया, जिसमें उन्होंने देखा कि जंगली आग को एक वन कर्मी बुझा रहा था, लेकिन इस आग के संबंध में क्षेत्रीय डीएफओ अनभिज्ञ थे।
वनीय आग से बचाव के लिए विभाग की क्या रणनीति है?
जंगली आग से बचाव के लिए कंट्रोल बर्निंग की गई है। अधिकारियों को निर्देश देने के साथ-साथ बजट भी आवंटित किया गया है। इस बारिश और बर्फबारी की कमी के समय जंगल अत्यंत सूखे हैं, जिसके कारण जंगली आगों की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
दो पेड़ काटने पर आम आदमी पर मुकदमा होता है, लेकिन जंगल में इतने पेड़ जल गए, कौन जिम्मेदार है?
इन घटनाओं के लिए किसी एक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। जंगली आग को कम करने के लिए सामूहिक प्रयास अत्यंत आवश्यक हैं। इसमें ग्रामीणों का सहयोग सर्वोपरि है। अधिकांश जंगली आग मानवीय कारणों से होती हैं। पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था की जानी चाहिए, और जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए।
क्या वन अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी?
जहां जंगली आग के मामले अधिक हो रहे हैं या आग पर नियंत्रण में देरी हो रही है, वहां के अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसमें डीएफओ समेत अन्य स्तर के अधिकारी शामिल हैं। अगर लापरवाही मिलती है तो कार्रवाई भी होगी।
जंगलों में आग लगाने वालों पर क्या कार्रवाई की गई है?
39 लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं। कई लोगों को पकड़ा गया है। इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
वन विभाग द्वारा लगाए गए पौधों में कितना नुकसान हुआ है?
प्लांटेशन को कितना नुकसान पहुंचा है, अभी तक इसकी रिपोर्ट नहीं मिली है। रिपोर्ट मिलने के बाद ही बताया जा सकेगा। प्लांटेशन के नुकसान वाले इलाकों में भरपाई के लिए कदम उठाया जाएगा।