हाल ही में जॉर्डन के एक सैन्य आधे पर हुए ड्रोन हमले का जवाब में संयुक्त राज्य ने सीरिया और इराक में कई ओर से निशाना साधा है। यह हमले ईरान समर्थित आतंकी संगठनों के 80 से अधिक स्थानों को लेकर हैं, मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ाते हुए। यह लेख अमेरिकी सैन्य के क्रियावली पीछे की कहानी पर प्रकाश डालता है, ब्रॉडर जियोपॉलिटिकल दृष्टिकोण और खेल की जटिल गतिविधियों की रोशनी में।
अगर आप किसी अमेरिकी को नुकसान पहुंचाते हैं, तो हम जवाब देंगे। यह बयान अमेरिका का है जिसने सीरिया और इराक पर ईरान समर्थित आतंकी संगठनों के ठिकानों पर हमले के बाद दिया है। दरअसल, अमेरिकी सेना ने शुक्रवार को हवाई हमले में इराक और सीरिया में 80 से अधिक ठिकानों पर बमबारी की है। अमेरिका की यह कार्रवाई जॉर्डन में सैन्य अड्डे पर हुए ड्रोन हमले के जवाब में की गई है जिसमें तीन अमेरिकी सैन्यकर्मी मारे गए थे। इस हमले ने एक बार फिर मध्य पूर्व में जारी संघर्ष को तेज कर दिया है।
अमेरिका ने सीरिया और इराक पर क्या कार्रवाई की है?
अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड ने शुक्रवार आधी रात को सीरिया और इराक पर ईरान समर्थित आतंकी संगठनों के ठिकानों पर भीषण हवाई हमले किए। यह कार्रवाई 125 से अधिक बमों से की गई है।
सेंटकॉम ने एक बयान में कहा कि अमेरिकी सैन्य बलों ने आतंकी संगठनों से जुड़े 85 से अधिक ठिकानों पर हमला किया। इन हमलों में अमेरिकी सेना ने लंबी दूरी के बमवर्षक विमानों का भी इस्तेमाल किया।
सेंटकॉम के बयान के अनुसार, हवाई हमलों में आतंकी संगठनों के कमांड और नियंत्रण संचालन, खुफिया केंद्र, रॉकेट और मिसाइल, रसद और युद्ध सामग्री को निशाना बनाया गया। हालांकि, अमेरिकी सेना ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि हमले कितने सटीक थे या उनके कारण कितना नुकसान हुआ।
सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स वॉर मॉनिटर ने कहा, ‘अमेरिका द्वारा किए गए हमलों के दौरान पूर्वी सीरिया में कम से कम 18 ईरान समर्थक लड़ाके मारे गए।’
ऑब्जर्वेटरी ने कहा कि युद्धक विमानों ने पूर्वी दीर एज-जोर प्रांत में ईरान समर्थित समूहों के 17 ठिकानों को नष्ट कर दिया। इनमें से तीन हमलों में अल-मयादीन को निशाना बनाया गया और एक हमले में इराकी सीमा के पास अल्बु कमाल पर बमबारी की गई।
इराकी सुरक्षा सूत्रों ने कहा, ‘सीरियाई सीमा के साथ लगे पश्चिमी इराक में ईरान समर्थक समूहों से जुड़े एक हथियार गोदाम और एक कमांड सेंटर को भी निशाना बनाया गया।’
अमेरिकी हमले की वजह क्या है?
अमेरिकी सेना ने जॉर्डन में सैन्य अड्डे पर हुए ड्रोन हमले के जवाब में ये सैन्य कार्रवाई की है। दरअसल, 28 जनवरी को जॉर्डन में सीरियाई और इराकी सीमाओं पर बनी एक सैन्य चौकी ‘टावर 22’ पर हमले हुए थे। इनमें तीन अमेरिकी ठिकानों पर चार अलग-अलग ड्रोन हमले किए गए थे। हमलों में तीन अमेरिकी सैनिक मारे गए थे और 34 अन्य घायल थे। जानकारी के अनुसार, ड्रोन से सुबह-सुबह अमेरिकी सैन्य बैरक के पास हमला किया गया था।
…तो अमेरिकी ठिकानों पर हमले किसने किए थे और क्यों? हालिया हमला उत्तरी जॉर्डन में सीरिया की सीमा के पास हुआ था। दरअसल, जॉर्डन में अमेरिका के लगभग 4,000 सैनिक तैनात हैं। जॉर्डन की सीमा इराक, इस्राइल, फलस्तीन, सऊदी अरब और सीरिया के साथ लगती है। अमेरिकी सेना लंबे समय से जॉर्डन का इस्तेमाल बेस के रूप में कर रही है।
इसी तरह सीरिया में अमेरिका के 900 सैनिक तैनात हैं। ये सैनिक सीरिया में सक्रिय आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट को तबाह करने के लिए कुर्द सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज के साथ काम कर रहे हैं।
ईरान समर्थित समूह लंबे समय से अमेरिकी सैनिकों को इराक और सीरिया से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, इन प्रयासों को तेज करने के लिए समूहों ने गाजा में जारी इस्राइल-हमास युद्ध को बतौर पृष्ठभूमि इस्तेमाल किया है।
पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास-इस्राइल युद्ध शुरू होने के बाद से इराक और सीरिया में मौजूद अमेरिका सेना निशाने पर है। यहां अमेरिकी सेना को लगभग रोज ही ड्रोन और मिसाइल हमलों का सामना करना पड़ रहा है।
हमास-इस्राइल युद्ध की शुरुआत के बाद यह पहली बार था कि मध्य पूर्व में हमले में अमेरिकी सैन्यकर्मी मारे गए। टावर 22 पर हुए हालिया हमले की जिम्मेदारी ईरान समर्थित समूह इस्लामिक रेजिस्टेंस ने ली। हमले में कताइब हिजबुल्ला नाम का एक समूह भी शामिल बताया गया, जो इराक में गठबंधन सेना के खिलाफ लड़ा था।
आतंकी समूह इस्लामिक रेजिस्टेंस ने एक बयान जारी कर कहा था, ‘जैसा कि हमने पहले कहा था, यदि अमेरिका इस्राइल का समर्थन करना जारी रखता है, तो क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा। हमें जवाब देने के लिए अमेरिकी धमकियों की परवाह नहीं है।’
हमले के बाद अमेरिका ने क्या रुख अपनाया?
टावर 22 पर हुए हमले के बाद अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे। दक्षिण कैरोलिना में एक चुनाव कार्यक्रम के दौरान बाइडन ने कहा, ‘हम जवाब देंगे। हम आतंकवाद से लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाएंगे। इसमें कोई संदेह नहीं है। हम सभी जिम्मेदार लोगों को एक समय और अपनी इच्छानुसार तरीके से जवाबदेह ठहराएंगे।’
अब शुक्रवार को अमेरिका ने इराक और सीरिया में आतंकी समूहों पर हवाई हमले करके अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। कार्रवाई के बाद जो बाइडन ने बयान जारी किया और कहा कि यदि आप किसी अमेरिकी को नुकसान पहुंचाते हैं, तो हम जवाब देंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘हमारी प्रतिक्रिया आज शुरू हुई। यह हमारी पसंद के समय और स्थानों पर जारी रहेगा।’