Uttarakhand tuunel rescue news: दुआओं का सिलसिला अभी भी जारी है, और इसी के साथ जारी है सिलक्यारा सुरंग में फंसे लोगों को सुरंग से बाहर निकालने का काम। उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में फंसे लोगों को निकालने का काम करीब 110 घंटो चल रहा है.
ऑगर मशीने से काम शुरू कर दिया गया है। सुरंग में 11 पाइप बिछाने का प्लान है जिसके माध्यम से श्रमिकों को सुरंग से बाहर लाया जायेगा। ९०० मीटर व्यास के साथ तीन पाइप बिछायी गयी हैं। ये पाइप6 मीटर लम्बे हैं। एक पाइप को फिक्स करने में लगभग दो से ढाई घंटे का वक्त लग रहा है। इन पाइपों को वेल्डिंग के माध्यम से एक दूसरे से जोड़ा जा रहा है।
टनल में फंसे लोगों को 4 इंच लम्बे पाइप के माध्यम से संपर्क बनाया हुआ है। इसी के द्वारा उन्हें खाना और दवाइयां पहुंचाई जा रही हैं , और इसी के द्वारा उनसे बात कर के उनका हाल चाल लिया जा रहा है।
उत्तराखंड के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि मलबा हटाने के काम में कितना समय लगेगा, लेकिन वे “सकारात्मक विकास” की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि, संघीय मंत्री वीके सिंह ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा कि बचाव अभियान अगले दो-तीन दिनों तक चल सकता है।
कब हुई थी यह घटना
यह दुर्घटना हिमालयी राज्य उत्तराखंड में रविवार को स्थानीय समयानुसार 05:00 बजे (23:30 GMT) हुई। सिल्क्यारा सुरंग का एक हिस्सा, इसके उद्घाटन से लगभग 200 मीटर दूर, उस समय ढह गया जब मजदूर अंदर थे। मलबे के ढेर से श्रमिकों को ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो गई।मजदूर सुरंग में करीब 200 मीटर अंदर फंसे हुए हैं और सुरक्षित है। इतने दिनों से सुरंग में फंसे रहने से विशेषज्ञों का मानना है कि उनके मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर भी चुनौतियां बढ़ रही हैं। श्रमिकों की मानसिक स्थिति पर इस हादसे का असर पड़ेगा। ऐसे में बाहर निकालने के बाद शारीरिक के साथ उनके मानसिक स्वास्थ्य का भीध्यान रखना होगा। मनोविज्ञानी प्राथमिक चिकित्सा के साथ ही उन्हें खूब देखभाल करने की भी जरूरत पड़ सकती है।