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Education Budget: आम बजट 1 फरवरी को आना है, सबकी निगाहें बजट की घोषणाओं पर टिकी हैं. बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में पेश करेंगी. शिक्षा क्षेत्र के लोग भी इस बजट से काफी उम्मीद लगाए बैठे हैं. कोविड के कारण पिछले सालों में शिक्षा का क्षेत्र काफी प्रभावित रहा है. हम आपको पिछले 3 साल के शिक्षा बजट के बारे में जानकारी देंगे ताकि आप आगामी बजट का अनुमान लगा सकें. इसके अलावा आने वाले बजट को लेकर शिक्षक समाज की क्या उम्मीद है. वह भी हम आपको बताएंगे.
वर्ष: 2022-23
वर्ष 2022-23 में सरकार ने एजुकेशन सेक्टर के लिए एक लाख चार हजार 277 करोड़ रुपये का आवंटन किया था. जो कि पिछले सालों के मुकाबले काफी अधिक था. शिक्षा बजट में समग्र शिक्षा अभियान के लिए 37,383 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. इसके अलावा आईआईटी के लिये 8,494 करोड़ रुपये, यूजीसी और एआईसीटीई के लिए 5320 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. बजट में डिजिटल एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए फंड का प्रावधान किया गया था.
वर्ष: 2021-22
साल 2021-22 में सरकार ने 93,224 करोड़ रुपये का आवंटन किया था. इस बजट में उच्च शिक्षा के लिए 38,350 करोड़ रुपये और स्कूली शिक्षा के 31,050 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. लड़कियों के लिए राष्ट्रीय प्रोत्साहन योजना को 1 करोड़ रुपये आवंटन किया गया था. जो पहले करीब 110 करोड़ रुपये था.
वर्ष: 2020-21
वर्ष 2020-21 के बजट में शिक्षा के लिए 99,300 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. जबकि, कौशल विकास के लिए 3,000 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था. इसके अलावा इस बजट में सरकार ने कौशल विकास के क्षेत्र पर जोर दिया था. एजुकेशन सेक्टर में एफडीआई स्वीकृति भी इसी बजट में प्रदान की गई थी और ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम की भी घोषणा की गई थी.
क्या हैं उम्मीदें-
शिक्षा के क्षेत्र को देनी चाहिए प्राथमिकता
सरकार को जीडीपी का कम से कम 5 प्रतिशत एजुकेशन सेक्टर को आवंटन देना चाहिए. सरकार ने पिछले बजट में एजुकेशन सेक्टर को प्राथमिकता दी थी. इस बार भी सरकार को शिक्षा के क्षेत्र को प्राथमिकता देनी चाहिए. ताकि उच्च शिक्षा का क्षेत्र और बेहतर हो.
प्रो. संजय द्विवेदी, डायरेक्टर जनरल- आईआईएमसी
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए खर्च बढ़ाया जाए
शिक्षा के क्षेत्र में लगातार बदलाव हो रहे हैं. नई शिक्षा नीति के आ जाने से उच्च शिक्षा में काफी बदलाव हुए हैं. शिक्षा के क्षेत्र में भी लगातार डिजिटलीकरण हो रहा है. आज अलग-अलग भाषाओं में छात्रों के लिए विभिन्न प्रोग्राम मौजूद हैं. उम्मीद है कि इस बार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए खर्च बढ़ाया जाएगा.
मनीषा उपाध्याय, असिस्टेंट प्रोफेसर- मंगलायतन यूनिवर्सिटी, अलीगढ़
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