सूत्रों ने बताया कि शनिवार की बैठक परिचयात्मक होगी और सदस्य इस रोडमैप पर चर्चा करेंगे कि समिति को दिए गए जनादेश का पालन कैसे किया जाए।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में आज ‘एक देश, एक चुनाव’ पर गठित उच्चस्तरीय समिति की परिचयात्मक बैठक होगी। बैठक में रोडमैप और हितधारकों के साथ परामर्श के तौर तरीकों पर चर्चा होगी। सूत्रों ने बताया कि शनिवार की बैठक परिचयात्मक होगी और सदस्य इस रोडमैप पर चर्चा करेंगे कि समिति को दिए गए जनादेश का पालन कैसे किया जाए।
एक देश एक चुनाव पर केंद्र सरकार ने दो सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में आठ सदस्यीय समिति का गठन किया था। कानून मंत्रालय ने इसे लेकर एक अधिसूचना भी जारी की थी। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय हित में देश में एक साथ चुनाव कराना वांछनीय है। ऐसे में भारत सरकार एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे की जांच करने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन करती है।
कानून मंत्रालय के मुताबिक, इस कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आजाद, एनके सिंह, सुभाष सी कश्यप, हरीश साल्वे और संजय कोठारी सदस्य के रूप में होंगे। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल आमंत्रित अतिथि के रूप में बैठक में हिस्सा लेंगे। कानूनी मामलों के विभाग के सचिव नितेन चन्द्र उच्च स्तरीय समिति के सचिव के रूप में जिम्मेदारी निभाएंगे। हालांकि, अधीर रंजन चौधरी ने खत लिखकर समिति का हिस्सा होने से इनकार कर दिया था।
क्या है एक देश एक चुनाव की बहस?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 के स्वतंत्रता दिवस पर एक देश एक चुनाव का जिक्र किया था। तब से अब तक कई मौकों पर भाजपा की ओर एक देश एक चुनाव की बात की जाती रही है। ये विचार इस पर आधारित है कि देश में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हों। अभी लोकसभा यानी आम चुनाव और विधानसभा चुनाव पांच साल के अंतराल में होते हैं। इसकी व्यवस्था भारतीय संविधान में की गई है। अलग-अलग राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल अलग-अलग समय पर पूरा होता है, उसी के हिसाब से उस राज्य में विधानसभा चुनाव होते हैं।