ड्रग्स और माफिया के बढ़ते अपराध पर भी जनता की चिंता साफ दिखाई दी। क्या सरकार का प्रस्तावित भू-कानून इस समस्या का समाधान करेगा, या उत्तराखंड को और बड़े आंदोलन की जरूरत पड़ेगी?
मूल निवास और भू-कानून को लेकर ऋषिकेश में स्वाभिमान महारैली: अपराध और नशे के खिलाफ उठी बुलंद आवाज
आज ऋषिकेश में मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति की ओर से एक भव्य स्वाभिमान महारैली निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में समिति के सदस्य शामिल हुए। इस मौके पर समिति ने राज्य में सशक्त भू-कानून और मूल निवास के प्रावधानों को लागू करने की मांग के साथ-साथ नशे के बढ़ते अपराध पर भी कड़ा रुख अपनाने की अपील की।
समिति का संघर्ष और मांग
महारैली का आयोजन आईडीपीएल से त्रिवेणीघाट तक किया गया। समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने बताया कि उनकी समिति लंबे समय से राज्य में भू-कानून को सशक्त बनाने और 1950 के आधार पर मूल निवास प्रमाणपत्र की मांग कर रही है। उनका कहना है कि सशक्त भू-कानून की अनुपस्थिति में उत्तराखंड की शांत वादियां अब अपराधों के लिए उपजाऊ भूमि बनती जा रही हैं।
अपराधों का गढ़ बनता उत्तराखंड
प्रदेश में ड्रग्स माफिया, भू-माफिया, और खनन माफिया जैसे गिरोह सक्रिय हो चुके हैं, जो राज्य की सामाजिक और पर्यावरणीय संरचना को नष्ट कर रहे हैं। डिमरी का मानना है कि अगर उत्तराखंड में हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सशक्त भू-कानून लागू नहीं किया गया, तो ये माफिया तत्व राज्य की शांति और सुरक्षा को तहस-नहस कर सकते हैं।
मूल निवास की सख्त जरूरत
समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदेश में 1950 के आधार पर मूल निवासी का निर्धारण होना चाहिए। साथ ही, समय-समय पर मूल और स्थायी निवासियों का सर्वेक्षण होना भी जरूरी है, ताकि बाहरी घुसपैठ को रोका जा सके और स्थानीय लोगों के अधिकार सुरक्षित रखे जा सकें।
समय रहते जागने की जरूरत
डिमरी ने जनता को चेतावनी दी कि यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो उत्तराखंड की स्थिति और भी दयनीय हो सकती है। इसलिए, अब समय आ गया है कि प्रदेश की जनता एकजुट होकर इस मुद्दे पर आवाज उठाए।
मुख्यमंत्री का वादा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि सरकार आगामी बजट सत्र में वृहद भू-कानून का प्रस्ताव लाने जा रही है। लेकिन समिति की मांग है कि इस कानून को जल्द से जल्द लागू किया जाए, ताकि राज्य की भलाई सुनिश्चित हो सके।
मेरी राय
उत्तराखंड जैसे राज्य में जहां पर्यटन और प्राकृतिक संसाधन आर्थिक विकास की रीढ़ हैं, वहां भू-कानून का सशक्त होना अत्यंत आवश्यक है। बाहरी प्रभाव और माफियाओं के दबाव से बचाने के लिए राज्य की सरकार और जनता को मिलकर काम करना होगा। नशे और अपराध की बढ़ती प्रवृत्ति को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह युवाओं और राज्य के भविष्य को खतरे में डाल रही है। जनता की आवाज को सुना जाना चाहिए, और सरकार को इस दिशा में तुरंत प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।