मानसून के जाने के बाद दिल्ली पर हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आने वाले प्रदूषण का असर तेजी से बढ़ रहा है। हवा की बदलती दिशा के चलते राजधानी में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो गया है। जानिए कौन से राज्य और क्षेत्र दिल्ली की हवा को और जहरीला बना रहे हैं, और इससे निपटने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
दिल्ली का प्रदूषण संकट: पड़ोसी राज्यों से बढ़ता खतरा
जैसे ही मानसून की विदाई होती है, दिल्ली में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ने लगता है। राजधानी की हवा में ज़हर घोलने में पड़ोसी राज्यों, खासकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश का बड़ा योगदान है। हाल के दिनों में दिल्ली के प्रदूषण में 60 फीसदी हिस्सा इन्हीं राज्यों का रहा है, जबकि 40 फीसदी प्रदूषण का स्रोत दिल्ली की अपनी गतिविधियाँ हैं।
दिलचस्प बात यह है कि हवा की दिशा बदलने से कभी उत्तर प्रदेश का प्रदूषण अधिक हो जाता है, तो कभी हरियाणा का। अक्तूबर के पहले दो दिनों में दिल्ली के प्रदूषण में हरियाणा की प्रमुख भूमिका रही है। भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के अनुसार, आने वाले दिनों में भी हरियाणा का प्रदूषण राजधानी की हवा में जहर घोलता रहेगा।
प्रदूषण के प्रमुख स्रोत
आईआईटीएम ने दिल्ली में PM2.5 यानी महीन धूल कणों के स्रोतों का विश्लेषण किया। अक्तूबर के पहले दो दिनों में दिल्ली का स्थानीय प्रदूषण करीब 33-38 फीसदी रहा, जबकि हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आने वाला प्रदूषण भी खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। इन आंकड़ों से साफ होता है कि राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) आने वाले दिनों में और खराब हो सकता है।
हवा का बदलता मिजाज
सितंबर के आखिरी दिनों में उत्तर प्रदेश से आने वाले प्रदूषण ने हरियाणा को पीछे छोड़ दिया था। पर अक्तूबर की शुरुआत में हवा की दिशा उत्तर पश्चिमी और पश्चिमी हो गई, जिससे हरियाणा के प्रदूषण ने फिर से बढ़त बना ली। यह बदलाव हमारे लिए चेतावनी है कि जब तक सभी राज्य मिलकर एक ठोस योजना नहीं बनाते, दिल्ली को स्वच्छ हवा मिलना मुश्किल है।
दिल्ली के प्रदूषण में प्रमुख योगदान देने वाले क्षेत्र:
- परिवहन: दिल्ली के प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदान परिवहन क्षेत्र का है, जो लगभग 20 फीसदी तक पहुंच जाता है। वाहनों से निकलने वाले धुएं को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने की ज़रूरत है।
- आवासीय क्षेत्र: घरों से निकलने वाला प्रदूषण भी एक महत्वपूर्ण कारक है। इसमें 4 से 5 फीसदी तक की हिस्सेदारी देखी गई है।
- उद्योग और निर्माण: दिल्ली में उद्योगों और निर्माण कार्यों से भी काफी मात्रा में धूल और प्रदूषण फैलता है।
प्रदूषण रोकने के उपाय
दिल्ली और उसके पड़ोसी राज्यों को मिलकर प्रदूषण रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। पराली जलाने पर कड़े कानून लागू करने से लेकर वाहनों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने तक, कई मोर्चों पर काम करने की ज़रूरत है। साथ ही, दिल्लीवासियों को भी प्रदूषण से निपटने के लिए सतर्क रहना होगा, जैसे वाहनों का कम इस्तेमाल करना और पर्यावरण के अनुकूल तरीकों को अपनाना।
मेरी राय
यह केवल सरकारों की ज़िम्मेदारी नहीं है कि वे प्रदूषण को नियंत्रित करें। हमें भी अपनी दिनचर्या में बदलाव लाना होगा। क्या हम सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग कर सकते हैं? क्या हम कचरा जलाने के बजाय उसे सही तरीके से निपटा सकते हैं? प्रदूषण एक साझा समस्या है, और इसका समाधान भी सामूहिक प्रयास से ही संभव है। अगर हम अभी नहीं जागे, तो आने वाले वर्षों में हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ हवा एक सपना बनकर रह जाएगी।