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Pakistan Peshawar Terror Attack: पाकिस्तान के अशांत इलाकों में गिने जाने वाले पेशावर शहर की एक मस्जिद में आज बड़ा फिदायीन हमला हुआ. यहां सोमवार (30 जनवरी) को दोपहर की नमाज के दौरान नमाजियों से खचाखच भरी एक मस्जिद में एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ा लिया, जिसमें 61 लोग मारे गए और लगभग 150 अन्य घायल हो गए. मरने वालों में ज्यादातर पुलिसकर्मी थे.
इस आत्मघाती हमले को तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (TTP) के फिदायीन ने अंजाम दिया. इसका खुलासा तब हुआ, जब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के मृत कमांडर उमर खालिद के एक भाई ने यह दावा किया. उसने कहा कि यह आत्मघाती हमला अफगानिस्तान में पिछले साल अगस्त में मारे गए उसके भाई की मौत का बदला है. आइए जानते हैं पेशावर मस्जिद ब्लास्ट की बड़ी बातें.
तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान ने कराया आत्मघाती हमला
बता दें कि तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (TTP) एक प्रतिबंधित आतंकी संगठन है. इसी संगठन ने पाकिस्तान में अब तक कई बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दिया है. उसके आतंकियों ने पाक सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाते हुए अतीत में कई आत्मघाती हमले किए हैं. उसे पाकिस्तान तालिबान नाम से भी जाना जाता है.
पुलिस लाइंस एरिया की मस्जिद को बनाया गया निशाना
पुलिस अधिकारियों ने बताया, हमला पेशावर के पुलिस लाइंस इलाके में स्थित मस्जिद के अंदर हुआ. तब दोपहर करीब 1.40 बजे विस्फोट हुआ. उस वक्त वहां नमाजी, जिसमें पुलिस, सेना और बम निरोधक दस्ते के कर्मी शामिल थे, वे सभी नमाज अदा कर रहे थे. उसी दौरान उनकी अग्रिम पंक्ति में मौजूद हमलावर ने खुद को उड़ा लिया.
मरने वालों और घायलों में ज्यादातर पुलिसकर्मी
हमले के बाद वहां चीख-पुकाकर मच गई. ज्यादातर घायलों को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया. लेडी रीडिंग अस्पताल के अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि अब तक 61 लोगों की मौत हो चुकी है. पेशावर पुलिस ने भी पीड़ितों की सूची जारी की है. सूची के अनुसार, मरने वालों और घायलों में ज्यादातर पुलिसकर्मी और सुरक्षा अधिकारी थे.
प्रधानमंत्री ने कहा- इस्लाम से कोई लेना देना नहीं
इस हमले पर पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ का बयान आया है. प्रधानमंत्री शरीफ ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि घटना के पीछे हमलावरों का “इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है”. उन्होंने कहा, “आतंकवादी उन लोगों को निशाना बनाकर डर पैदा करना चाहते हैं जो पाकिस्तान की रक्षा करने का कर्तव्य निभाते हैं.” उन्होंने कहा कि हमले के पीड़ितों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा.
शहबाज शरीफ ने कहा, ”हमारा पूरा देश आतंकवाद के खतरे के खिलाफ एकजुट खड़ा है.” उन्होंने यह भी कहा कि अशांत खैबर पख्तूनख्वा में बिगड़ती कानून व्यवस्था का मुकाबला करने के लिए एक व्यापक रणनीति अपनाई जाएगी और सरकार विभिन्न प्रांतों को उनकी आतंकवाद विरोधी क्षमता बढ़ाने में मदद करेगी.
आर्मी चीफ असीम मुनीर ने किया पेशावर का दौरा
इससे पहले प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर राहत और बचाव अभियान की समीक्षा करने के लिए पेशावर गए. सेना प्रमुख के साथ अधिकारियों ने पेशावर में लेडी रीडिंग अस्पताल का भी दौरा किया और घायलों के स्वास्थ्य की जानकारी ली. इस दौरान गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे.
इमरजेंसी बैठक बुलाकर दिए गए जरूरी निर्देश
पाक सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री ने आपात बैठक बुलाई है. उन्होंने कहा कि सभी संस्थाओं को बैठक में भाग लेने के लिए निर्देशित किया गया. बैठक में पेशावर में हुए आतंकवादी हमले के पीछे के कारणों की समीक्षा की गई. अब जांच रिपोर्ट पेश की जाएगी.
हमले में बाल-बाल बच गए ये पुलिस अधिकारी
पाकिस्तान में पेशावर के पुलिस अधीक्षक (जांच), शाज़ाद कौकब ने कहा कि वह सौभाग्य से हमले में बाल-बाल बच गए. उन्होंने बताया कि उनका कार्यालय उसी मस्जिद के करीब है, जहां यह हमला हुआ. उन्होंने मीडिया को बताया कि विस्फोट तब हुआ जब वह नमाज अदा करने के लिए मस्जिद में दाखिल हुए थे.
अभी भी मलबे में दबे हो सकते हैं लोग
वहीं, एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि ब्लास्ट से मस्जिद का एक हिस्सा ढह गया और इसके नीचे कई लोगों के दबे होने की आशंका है. बचाव अभियान के प्रभारी बिलाल फैजी ने कहा, “हम अभी बचाव अभियान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हमारी पहली प्राथमिकता मलबे में दबे लोगों को सुरक्षित निकालना है.” उन्होंने आशंका जताई कि और लोग वहां दबे हो सकते हैं.
मस्जिद के ही पास हैं ये बड़े ऑफिस
हैरानी की बात है कि यह हमला उस मस्जिद में हुआ, जो पेशावर पुलिस, काउंटर-टेररिज्म डिपार्टमेंट (CTD), फ्रंटियर रिजर्व पुलिस (FRP), एलीट फोर्स और दूरसंचार विभाग के मुख्यालय के निकट थी. फिर भी हमलावर पुलिस लाइन के अंदर अत्यधिक सुरक्षित मस्जिद में घुस गया, जहां फोर लेयर की सिक्योरटी थी.
अधिकारी ने माना- सुरक्षा में चूक हुई
पाकिस्तान के डॉन अखबार ने कैपिटल सिटी पुलिस अधिकारी (सीसीपीओ) पेशावर मुहम्मद इजाज खान के हवाले से कहा कि कई जवान अभी भी मलबे में फंसे हुए हैं और बचावकर्मी उन्हें बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं. खान ने कहा कि विस्फोट के वक्त इलाके में 300 से 400 पुलिस अधिकारी मौजूद थे. उन्होंने मीडिया से कहा, “यह स्पष्ट है कि सुरक्षा में चूक हुई है.”
विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने की निंदा
विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने भी हमले की निंदा करते हुए कहा, “स्थानीय और आम चुनावों से पहले आतंकवादी घटनाएं बेहद चिंता का विषय हैं”. उन्होंने कहा कि साजिशकर्ताओं के मंसूबे सफल नहीं होंगे.
लोगों से की जा रही रक्तदान करने की अपील
लेडी रीडिंग अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि काफी घायलों को उनके यहां भर्ती कराया गया है. अस्पताल से जुड़े सूत्रों ने बताया कि घायलों में से 13 की हालत गंभीर है. इसीलिए पेशावर के अस्पतालों में आपात स्थिति घोषित कर दी गई है. अस्पतालों ने नागरिकों से पीड़ितों के लिए रक्तदान करने की अपील की है.
इस्लामाबाद समेत कई शहरों में सुरक्षा बढ़ाई
पेशावर विस्फोट के बाद इस्लामाबाद समेत अन्य प्रमुख शहरों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. राजधानी इस्लामाबाद में, शहर के सभी प्रवेश और निकास पॉइंट्स पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है और “महत्वपूर्ण पॉइंट्स और इमारतों” पर स्नाइपर तैनात किए गए हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी की निंदा
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी मस्जिद में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने ट्वीट किया, “पीड़ित परिवारों के साथ हमारी प्रार्थना और संवेदनाएं हैं. यह जरूरी है कि हम अपनी खुफिया जानकारी में सुधार करें और आतंकवाद के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए अपने पुलिस बलों को उचित रूप से तैयार करें.”
वहीं, पेशावर में कार्यवाहक मुख्यमंत्री आजम खान ने हमले की निंदा की और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की.
पिछले साल भी हुआ था बड़ा हमला
पिछले साल, शहर के कोचा रिसालदार इलाके में एक शिया मस्जिद के अंदर इसी तरह के हमले में 63 लोग मारे गए थे.
2014 में 131 स्कूली बच्चों की हत्या कर दी गई
2014 में, पाकिस्तानी तालिबान ने पेशावर के उत्तर-पश्चिमी शहर में आर्मी पब्लिक स्कूल (APS) पर धावा बोल दिया, जिसमें 131 छात्रों सहित कम से कम 150 लोग मारे गए. इस हमले ने दुनिया भर में स्तब्ध कर दिया और इसकी व्यापक रूप से निंदा की गई.
टीटीपी ने संघर्ष विराम को कर दिया था समाप्त
2007 में कई उग्रवादी संगठनों के एक समूह के रूप में स्थापित टीटीपी ने सरकार के साथ संघर्ष विराम को समाप्त कर दिया और अपने उग्रवादियों को देश भर में आतंकवादी हमले करने का आदेश दिया था. माना जाता है कि यह संगठन अल-कायदा का करीबी है. इसे पाकिस्तान भर में कई घातक हमलों के लिए दोषी ठहराया गया है.
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