झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही एनडीए की सहयोगी आजसू पार्टी ने अपने पहले 8 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। सुदेश महतो फिर से सिल्ली से चुनावी मैदान में उतरेंगे। दूसरी ओर, विपक्षी दलों में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान तेज हो गई है। क्या यह चुनाव भाजपा के लिए चुनौती बनेगा या विपक्ष की आपसी खींचतान उसे नुकसान पहुंचाएगी?
झारखंड चुनाव 2024: आजसू पार्टी ने जारी की पहली सूची, सीट बंटवारे पर राजनीति गरम
झारखंड में विधानसभा चुनावों की सरगर्मियां तेज़ हो गई हैं। एनडीए की सहयोगी आजसू पार्टी ने अपने पहले 8 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। पार्टी के प्रमुख सुदेश महतो को सिल्ली सीट से फिर से मैदान में उतारा गया है। आजसू इस बार 10 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि जदयू और लोजपा (राम विलास) क्रमश: 2 और 1 सीट पर चुनाव लड़ेंगी। भाजपा बाकी 68 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।
महतो का दमदार प्रदर्शन
सुदेश महतो ने 2019 में सिल्ली से 20,195 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी और झामुमो की सीमा देवी को हराया था। आजसू के लिए यह सीट इस बार भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इसके साथ ही पार्टी की मौजूदा विधायक सुनीता चौधरी रामगढ़ और नेहरू शांति भगत लोहरदगा से मैदान में होंगी। रामगढ़ उपचुनाव में सुनीता चौधरी ने 21,970 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी।
अपराध और राजनीति का टकराव
कांग्रेस की ममता देवी को एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद रामगढ़ सीट पर उपचुनाव हुआ, जहां आजसू की सुनीता चौधरी ने जीत दर्ज की। यह दर्शाता है कि झारखंड की राजनीति में अपराध और राजनीति का गहरा संबंध है, जहां एक ओर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को अयोग्य घोषित किया जाता है, वहीं दूसरी ओर मतदाता उनके विकल्प के रूप में नए चेहरों को मौका देते हैं।
बाकी सीटों पर किस्मत आजमाएंगे ये चेहरे
लोहरदगा से नेहरू शांति भगत और गोमिया से लंबोदर महतो फिर से चुनाव लड़ेंगे, जबकि रामचंद्र साहिस जुगसलाई से और निर्मल महतो मांडू से चुनावी मैदान में होंगे। अजहर इस्लाम पाकुड़ से आजसू के उम्मीदवार होंगे। पार्टी ने 2019 में कुछ सीटों पर कड़ा मुकाबला दिया था, और इस बार उसे अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती होगी।
विपक्ष में घमासान: सीट बंटवारे पर खींचतान
झारखंड चुनावों से पहले विपक्षी गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। झामुमो के नेता मनोज पांडे ने भरोसा जताया कि यह विवाद जल्द ही सुलझ जाएगा और सभी पार्टियां भाजपा को हराने के एकमात्र लक्ष्य पर एकजुट होंगी। वहीं, सीपीआई (एम) की सुभाषिनी अली ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ पार्टियां अपनी क्षमता से अधिक सीटें मांग रही हैं। उन्होंने कहा, “कांग्रेस को यह समझना होगा कि वह समय चला गया जब उनके नाम पर वोट मिलते थे। अब गठबंधन के नाम पर वोट मिलता है, और इसलिए सभी को मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए।”
मेरी राय
झारखंड में इस बार का चुनाव सत्ता के साथ-साथ विपक्ष के लिए भी चुनौतीपूर्ण होगा। एक ओर जहां एनडीए अपने गठबंधन की मजबूती दिखाने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के बीच सीट बंटवारे पर खींचतान हो रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन से मुद्दे चुनावी चर्चा में आते हैं और किस तरह से मतदाता इस बार अपना मत देंगे।
मुझे लगता है कि इस बार झारखंड चुनाव में विपक्ष का गठबंधन भाजपा को कड़ी चुनौती दे सकता है, लेकिन इसके लिए उनका एकजुट होना बेहद जरूरी है। सीट बंटवारे की समस्या को जल्द सुलझा लिया जाना चाहिए ताकि वह भाजपा के खिलाफ एक ठोस रणनीति बना सकें।