हूती विद्रोहियों ने यमन की खाड़ी में दो अलग-अलग जहाजों पर ड्रोन से किए गए हमलों के बाद, ब्रिटिश और अमेरिकी सुरक्षा तंत्र को चुनौती दी है। इस लेख में हम इस नवीनतम घटना की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करते हैं, जिसमें हूतियों की समर्थन में ईरान का भूमिका भी उजागर हो रहा है।
हूती विद्रोहियों ने एक ही दिन में दो जहाजों पर ड्रोन से हमले किए। इस हमले की जानकारी के साथ ही, ब्रिटिश सेना के मैरिटाइम ट्रेड ऑपरेशन (यूकेएमटीओ) ने बताया कि यह हमला हमास-इस्राइल युद्ध के बाद हुआ है और इसमें इरान समर्थित लड़ाकों का समर्थन है। यूकेएमटीओ ने मंगलवार को यमन के दक्षिणी बंदरगाह शहर अदन के पास होने वाले एक जहाज पर हुए हमले की जानकारी प्रदान की है। सुरक्षा फर्म एंब्रे ने इस जहाज को मार्शल आइलैंड्स के ध्वज और ग्रीक स्वामित्व से जुड़ा हुआ बताया है, जो अमेरिका से भारत की ओर बढ़ रहा है।
एंब्रे के मुताबिक, जहाज के स्टारबोर्ड की ओर से 50 मीटर की दूरी पर एक शक्तिशाली विस्फोट हुआ। हालांकि, इससे न तो जहाज के ढांचे को कोई क्षति पहुंची है और न ही कोई हताहत हुआ है। हमले के बाद, हूती विद्रोहियों के एक सैन्य प्रवक्ता, ब्रिगेडियर जनरल याह्या सारी ने दावा किया कि विद्रोही बलों ने लाल सागर में दो जहाजों पर हमला किया, जिनमें से एक अमेरिकी और एक ब्रिटिश था। हालांकि, हूतियों ने भारत आ रहे जहाज पर हुए हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।
अदन की खाड़ी में हुए हमले के बारे में एंब्रे ने बताया कि दूसरा हमला ब्रिटिश कंपनी मॉर्निंग टाइड के मालवाहक जहाज पर किया गया था, जिस पर बारबाडोस का ध्वज लगा है। इस हमले में भी कोई हताहत नहीं हुआ, हालांकि, जहाज को क्षति पहुंची है। हूतियों पर अमेरिका और ब्रिटेन ने पिछले सप्ताह ही उनके 36 ठिकानों पर हवाई हमले किए थे।
हमलावरों को ढेर करने का संकल्प
अमेरिकी सेना ने एक बयान जारी करके कहा है कि विस्फोटकों से भरे दो हूती ड्रोन नौकाओं से टकराए गए हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा है कि वह नौसेना और व्यापारिक जहाजों के लिए अंतरराष्ट्रीय समुद्री रास्तों को सुरक्षित बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं और हमलावरों को खोजकर नष्ट करेंगे।
लाल सागर संकट पर अहम बैठक कल
लाल सागर में चल रही समस्याओं पर चर्चा के लिए एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति गुरुवार को फिर बैठक करेगी। इसमें विदेश, रक्षा, जहाजरानी, वित्त और वाणिज्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भाग लेंगे। इससे पहले पैनल ने इस मुद्दे पर 17 जनवरी को बैठक की थी। ये बैठकें वाणिज्य मंत्रालय की ओर से बुलाई जाती हैं। एक अधिकारी ने कहा है कि बैठक में अधिकारियों की ओर से निर्यातक समुदाय को इस संकट से निपटने में मदद के लिए उठाए जा रहे कदमों पर चर्चा होगी।