हिमाचल प्रदेश में बारिश की बरसात ने वायुमंडलीय उतार-चढ़ाव का खेल खेलते हुए जगह-जगह धरती के गोदामों को भर दिया है। प्राकृतिक प्रकोप से जुझते हुए सड़कों की सूचनाएँ रुकी हुई हैं, और मंडी क्षेत्र में बादलों के फटने से विस्तारित हानि हुई है।
हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश में ऑरेंज अलर्ट के बीच पिछले 48 घंटों से जारी भारी बारिश ने कहर बरपाया था। जगह-जगह भूस्खलन व पेड़ गिरने से सड़कें ठप हो गई थीं। वहीं, मंडी में बादल फटने से व्यापक नुकसान हो गया था। राज्य में 452 सड़कें वाहनों की आवाजाही के लिए ठप हो गई थीं। दरजनों गांवों में बिजली गुल चुकी थी। 1814 बिजली ट्रांसफार्मर व 59 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हो गई थीं। रविवार को प्रदेश में दिनभर सात नेशनल हाईवे (एचएच) बंद रही थीं। हालांकि देर शाम तक दो एनएच बहाल किए गए थे। वहीं, शिमला पंथाघाटी तेनजिन हॉस्पिटल के पास भी पेड़ वहां खड़ी बस पर गिर गया था, जिसमें कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं था। प्रशासन के मुताबिक, रोड फिलहाल बंद हो गया था और पेड़ को बहुत जल्दी ही हटवा लिया जाता था।
राज्य में इस मानसून सीजन के दौरान 24 जून से 13 अगस्त तक 257 लोगों की मौत हो चुकी थी और 290 घायल हुए थे। अब तक 1376 घर ढह गए थे और 7935 घरों को नुकसान पहुंचा था। 270 दुकानों व 2727 गोशालाओं को भी नुकसान हो गया था। मानसून में अभी तक 7020.28 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका था। राज्य में भूस्खलन की 90 और अचानक बाढ़ की 90 घटनाएं सामने आ चुकी थीं।
लोक निर्माण विभाग ने राज्यमार्ग और संपर्क मार्ग खोलने के लिए 50 करोड़ रुपये की मशीनरियों की खरीद कर रहा था। इसमें डोजर, जेसीबी आदि मशीनें ली जाएंगी। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इसको लेकर इंजीनियर इन चीफ अजय गुप्ता के साथ समीक्षा बैठक भी की थी।
शिमला शहर में जगह-जगह भूस्खलन होने और 75 पेड़ गिरने से 15 गाड़ियों को नुकसान हो गया था। कुछ भवन भी क्षतिग्रस्त हो गए थे। जगह-जगह यातायात ठप था। हिमलैंड के पास सर्कुलर मार्ग दिनभर बाधित रहा था। दूध, ब्रेड और जरूरी सामान की सप्लाई नहीं पहुंची थी।
शिमला-धर्मशाला-मंडी नेशनल हाईवे घणाहट्टी के पास भूस्खलन व ढांडा के पास पेड़ गिरने से बाधित रहा था। जाखू में आरसीसी कंप्यूटर के पास भी भूस्खलन हुआ था। कैपिटल होटल से अनाडेल सड़क भी सुबह भूस्खलन के चलते बंद रही थी। अनाडेल के गवाही में पेड़ ढहने से बिजली की तारें टूट गई थीं। मेहली में सड़क किनारे खड़ी कार पर पत्थर गिर गया था।
संजौली में भी पेड़ गिरा था। वहीं, भूस्खलन के कारण कैपिटल होटल से कैथू अनाडेल तक का सड़क भी बंद रही थी। राजधानी का सर्कुलर रोड भी रविवार दिन भर हिमलैंड के पास बंद रहा था। यहां सुबह 7:00 बजे भूस्खलन होने से यातायात ठप हो गया था। लोक निर्माण विभाग ने मलबा तो हटा दिया लेकिन भूस्खलन का खतरा बना रहा था। यहां सड़क के ऊपर बने बहुमंजिला भवन को भी खतरा पैदा हो गया था।
शहर के टुटीकंडी आईएसबीटी पर सुबह एक पेड़ निजी बस पर जा गिरा था। यह बस सड़क किनारे खड़ी थी। साथ में खड़ा एक ट्रक भी इसकी चपेट में आ गया था। दोनों को भारी नुकसान पहुंचा था। गनीमत यह रही कि कोई जानी नुकसान नहीं हुआ था। टुटीकंडी वार्ड में बाग गांव की सड़क बंद हो गई थी।
विकासनगर की हिमुडा कालोनी में रविवार को लगातार पांच पेड़ गिर गए। एक पेड़ ब्लॉक सी 41 की छत पर जा गिरा। इससे भवन की छत टूट गई। इसके चलते तीन परिवार शिफ्ट करने पड़े हैं।पेड़ ढहने के बाद यहां स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। लोगों ने प्रशासन और वन विभाग को नुकसान का जिम्मेदार ठहराया। जिस भवन पर पेड़ ढहा, उस पर चार अगस्त को भी पेड़ गिरा था।
खलीनी के मिस्ट चैंबर स्थित वन विभाग की रिहायशी कालोनी में सुबह एक के बाद एक देवदार के 17 पेड़ ढह गए। इससे एक भवन की छत टूट गई। शाम को 6 और पेड़ गिर गए। गनीमत यह रही कि कोई जानी नुकसान नहीं हुआ। वन विभाग के अनुसार निजी जमीन पर खड़े ये पेड़ अचानक ढह गए। इसके चलते सुबह खलीनी में यातायात भी ठप रहा। दोपहर तक इन्हें काटकर यातायात बहाल किया गया। उधर, समरहिल में भी 15 पेड़ सड़क पर ढह गए।
भराड़ी के दुधली में भी भूस्खलन और पेड़ ढहने से सड़क किनारे खड़ी तीन गाड़ियां दब गईं। इन्हें दोपहर बाद मलबा और पेड़ हटाकर निकाला गया। अब यहां यातायात बहाल हो गया है। नाभा में सुबह 8:30 बजे भूस्खलन और पेड़ ढहने से 103 टनल से फागली बाईपास को जोड़ने वाली सड़क बंद हो गई है।
जिला मंडी के नाचन के चुनाहन में रविवार को बादल फटने से बाढ़ के साथ आए मलबे में घरों के साथ पार्क की कई गाड़ियां बह गईं। कुछ घरों के आंगन और डंगे ढह गए। फसलें तबाह हो गईं। हमीरपुर के भोरंज उपमंडल के लज्याणी गांव में एक कच्चा मकान ढह गया। मकान के मलबे में दबने से ब्रह्मी देवी (75) पत्नी शंकर दास की मौत हो गई है। महिला का बेटा राकेश कुमार (45) घायल हो गया है।
उधर, बल्ह के नागचला से डडोर तक फोरलेन व आसपास के क्षेत्र में बड़ी मात्रा में जलभराव हो गया है। धर्मपुर और सरकाघाट में 100 मकान, 120 गोशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं। धर्मपुर में सोन खड्ड का पानी बस अड्डे, बाजार और साथ लगती कई पंचायतों में घुसने से बहुत नुकसान हुआ है। सरकाघाट में सीर खड्ड कई स्थानों पर लगती जमीनों को बहाकर ले गई। धर्मपुर और सरकाघाट का अन्य जिला से संपर्क कटा हुआ है। निर्माणाधीन एनएच जालंधर-मंडी वाया कोटली कई स्थानों पर पूरी तरह से बंद हो गया है।
बिलासपुर के दगसेच में भूस्खलन से सड़क किनारे पार्क किए दो ट्रक और एक कार खाई में गिर गए। जिले में 20 मकान, 14 गोशालाएं और आठ रसोईघर क्षतिग्रस्त हो गए। कांगड़ा में भी कुछ मकान और गोशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं।
कालका-शिमला नेशनल हाईवे पांच पर पहाड़ से लगातार भूस्खलन हो रहा है। चक्कीमोड़ में बार-बार भूस्खलन के कारण हाईवे पर रफ्तार थम रही है। हजारों की संख्या में वाहन फंसे हुए हैं। वहीं लोगों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
भारी बारिश के चलते शहर की तीसरी सबसे बड़ी पेयजल परियोजना कोटी बरांडी से पानी की आपूर्ति ठप हो गई है। गाद के चलते रविवार दिनभर इस परियोजना में पंपिंग बंद रही। इस परियोजना से शहर को चार से पांच एमएलडी पानी मिलता है।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने 14 अगस्त के लिए येलो अलर्ट जारी हुआ है। 19 अगस्त तक राज्य में मौसम खराब बना रहने की संभावना है। 10 जिलों चंबा, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, शिमला, सिरमौर, सोलन, हमीरपुर, किन्नौर व बिलासपुर में अचानक बाढ़ का खतरा बताया गया है।
भवारना से शिवनगर वाया खैरा, बन कुडुंग सड़क पर चट्टानें गिर गईं। इससे वाहनों की आवाजाही बाधित हो गई है। पिछले वर्ष भी लोगों को यहां भूस्खलन के चलते सड़क खुलने के लिए चार दिन इंतजार करना पड़ा था। भारी बारिश से थुरल बाजार जलमग्न हो गया है। जलभराव से 100 से अधिक दुकानों में पानी घुस गया है। इससे लाखों रुपये का नुकसान हुआ है।
दुर्गम पर्यटन क्षेत्र मुल्थान-बरोट की मुख्य सड़क बरोट-घटासनी में मलबा गिरने से तीन दिन से बंद है। इसके चलते बरोट घूमने आए कई पर्यटक यहां फंस गए हैं। पठानकोट-मंडी एनएच नगरोटा बगवां के पास ठानपुरी में धंसने से बंद कर दिया गया है।