नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार के बाढ़ पीड़ित परिवारों के लिए बड़ा कदम उठाते हुए 7.60 लाख परिवारों के खाते में 532 करोड़ रुपये की राहत राशि ट्रांसफर की है। सरकार ने किसानों के लिए भी दीपावली से पहले फसल मुआवजा देने का वादा किया है। यह आर्थिक सहायता बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए संजीवनी साबित हो रही है।
बिहार बाढ़ राहत: सरकार का बड़ा कदम, 7.60 लाख परिवारों के खाते में पहुँची 532 करोड़ की सहायता
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए बाढ़ प्रभावित 3.21 लाख परिवारों के खातों में सीधे 7,000 रुपये की राशि ट्रांसफर की। यह राहत राज्य के 18 जिलों में आई दूसरी बाढ़ से पीड़ित परिवारों के लिए दी गई है, जिसमें कुल 225.25 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई। इससे पहले, पहले चरण में 4.38 लाख परिवारों के खाते में 306.97 करोड़ रुपये भेजे गए थे। इस तरह, अब तक कुल 7.60 लाख परिवारों को 532.22 करोड़ रुपये की सहायता मिल चुकी है।
यह राहत राशि सरकार की डिजिटल पहल ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT)’ के तहत सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंचाई गई। बाढ़ की त्रासदी में फंसे लोगों को यह तत्काल सहायता किसी वरदान से कम नहीं है, और सरकार का यह कदम प्रशंसा के योग्य है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ किया कि बाढ़ से प्रभावित किसानों की फसल क्षति का आकलन तेजी से हो रहा है, और दीपावली से पहले मुआवजा राशि उनके खातों में पहुंचा दी जाएगी।
सरकार का संकल्प और किसानों की मदद
मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारी सरकार आपदा पीड़ितों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहती है। इस बाढ़ में जिन किसानों की फसलें बर्बाद हुई हैं, उन्हें किसी भी हाल में सहायता दी जाएगी। कृषि विभाग इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है और बाढ़ के दौरान कोई भी प्रभावित किसान छूटने न पाए।”
इस बैठक में मुख्यमंत्री के साथ राज्य के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे, जिन्होंने बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा लिया। कृषि विभाग के विशेष सचिव वीरेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि इस बाढ़ से कुल 16 जिलों के कृषि क्षेत्र प्रभावित हुए हैं और फसल क्षति के आकलन के अनुसार 261 करोड़ रुपये का मुआवजा तय किया गया है। पहले चरण में 229 करोड़ रुपये का आकलन किया गया था, जो विभाग को प्राप्त हो चुका है।
मेरा सुझाव
सरकार के इस कदम से यह साफ है कि बिहार सरकार आपदाओं के समय किस तरह से तत्पर होकर राहत कार्य करती है। इससे लोगों को न केवल आर्थिक राहत मिल रही है, बल्कि सरकार की साख भी बढ़ रही है। किसानों के लिए दीपावली से पहले फसल क्षति की भरपाई का वादा, एक सकारात्मक कदम है जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा।