हरियाणा के सिरसा में पनिहारी, मुसाहिब वाला, व रंगा में चार जगह तटबंध टूटा है, यहां घग्गर का जलस्तर 48 हजार क्यूसेक से अधिक पहुंच गया है। पंजाब में 25 हजार से अधिक लोग बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकाले जा चुके हैं जबकि 3300 अभी भी राहत शिविरों में हैं।
पंजाब और हरियाणा में बाढ़ का पानी धीरे-धीरे उतरने लगा था, लेकिन दोनों राज्यों के अब भी 518 गांव बाढ़ की चपेट में थे। दोनों राज्यों में बाढ़ के चलते अब तक 57 लोगों की जान चली गई थी। हरियाणा में 24 घंटे में 403 नए गांवों और पंजाब में 115 गांवों में पानी भर गया था। हरियाणा के 1385 गांव बाढ़ से प्रभावित थे।
मौसम विभाग ने पंजाब और हरियाणा में चार दिन भारी बारिश की चेतावनी जारी की थी। विभाग ने लोगों को सावधान रहने को कहा था। जलभराव के कारण शनिवार को दोनों राज्यों में आठ और लोगों की मौत हो गई थी। फिरोजपुर में गांव नौव बहराम शेर सिंह वाला की तरफ सतलुज पर बने पुल के ऊपर से बह रहे पानी में पांव फिसलने से एक युवक नदी में गिर गया था। जब वह खुद को बचाने के लिए हाथ-पांव चला रहा था, तो बाहर खड़े लोग उसका वीडियो बना रहे थे।
मृतक की पहचान जगदीश सिंह के रूप में हुई थी। वहीं, पटियाला की बड़ी नदी के किनारे शौच करने गए 16 साल के किशोर मांगव पैर फिसलने से नदी में जा गिरा और डूबने से उसकी मौत हो गई थी। वहीं करनाल के रसूलपुरा कलां गांव में साइकिल पर जा रहे दो किशोर तालाब में गिर पड़े थे। इसमें 13 साल के सावन की मौत हो गई थी। कुरुक्षेत्र के गांव गुढ़ा में पशुपालक वीर सिंह की डूबने से मौत हो गई थी।
तीन अन्य लोगों की भी जान चली गई थी, जबकि तीन लोग लापता थे। सिरसा में पनिहारी, मुसाहिब वाला और रंगा में चार जगह तटबंध टूटा था, यहां घग्गर का जलस्तर 48 हजार क्यूसेक से अधिक पहुंच गया था। पंजाब में 25 हजार से अधिक लोग बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकाले जा चुके थे, जबकि 3300 अभी भी राहत शिविरों में थे।
हरियाणा में 43833 प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका था। जालंधर के 60, संगरूर में 16, फिरोजपुर में 15 और फाजिल्का में 10 गांवों के अलावा अन्य जिलों के 15 गांव बाढ़ के प्रभाव से बाहर नहीं आ पाए थे। राजस्व विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक बारिश और बाढ़ के कारण 29 की मौत हो चुकी थी, जबकि तीन लापता थे।
लोगों और पशुओं की सेहत पर सरकार का फोकस रहा। पंजाब में अभी तक पटियाला, जालंधर, कपूरथला, पठानकोट, तरनतारन, फिरोजपुर, फतहेगढ़ साहिब, फरीदकोट, होशियारपुर, रूपनगर, मोगा, लुधियाना, मोहाली और संगरूर जिले बाढ़ का सामना कर रहे थे। ऐसे में सरकार का फोकस अब लोगों और जानवरों की सेहत पर था। पशुपालन विभाग ने पशुओं के टीकाकरण मुहिम को तेज किया था। वहीं लोगों के लिए लगाए जा रहे मेडिकल कैंपों की संख्या बढ़ा दी गई थी।
विभाग के मुताबिक बाढ़ के कारण बीमार हुए 2862 पशुओं का अब तक इलाज किया गया था, जबकि 11672 पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका था। स्वास्थ्य विभाग की टीमें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में काम कर रही थीं। इस समय 359 रैपिड रिस्पांस टीमें कार्यशील थीं, जबकि बाढ़ प्रभावित एरिया में कैंपों की संख्या 263 थी। सूबे में कुल 164 राहत कैंप चल रहे थे। सबसे अधिक 56 राहत कैंप जालंधर जिले में थे। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को खाना और अनाज मुहैया करवाया जा रहा था। पटियाला जिले में 52000 और रूपनगर में 20030 पैकेट लोगों को वितरित किए जा चुके थे।