नरेंद्र मोदी सरकार ने यासीन मलिक और उनके संगठनों पर प्रतिबंध लगाकर जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा संदर्भ में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस निर्णय से आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में भारतीय सरकार ने नया दम दिखाया है।
नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के संगठन पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि ‘जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट’ पांच साल के लिए गैरकानूनी संगठन के रूप में बना रहेगा। शाह ने कहा कि यह संगठन जम्मू-कश्मीर में आतंक और अलगाववाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में शामिल है।
मोदी सरकार ने जेल में बंद आतंकवादी यासीन मलिक के नेतृत्व वाले जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट, जम्मू कश्मीर पीपुल्स फ्रीडम लीग और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स लीग के चार धड़ों पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) के तहत लगाया गया है।
अमित शाह ने कहा कि अगर कोई देश की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देगा तो उसे कठोर कानूनी परिणाम भुगतने होंगे। इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जे-के पीपुल्स लीग के चार धड़ों, जेकेपीएल (मुख्तार अहमद वाजा), जेकेपीएल (बशीर अहमद तोटा), जेकेपीएल (गुलाम मोहम्मद खान) और याकूब शेख के नेतृत्व वाले जेकेपीएल (अजीज शेख) पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
इस सार्वजनिक निर्णय से स्पष्ट है कि भारतीय सरकार कठिन कदम उठा रही है ताकि देश की अखंडता और सुरक्षा को किसी भी रूप में खतरा ना हो। इस प्रतिबंध के माध्यम से, सरकार ने आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों और संगठनों के खिलाफ निष्ठा और सख्ती का संदेश दिया है।