दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के स्रोतों की पहचान के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग शुरू किया है, जो 13 हॉटस्पॉट क्षेत्रों में मॉनिटरिंग करेगी। यह प्रोजेक्ट प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक आधुनिक दृष्टिकोण प्रदान करता है और यदि सफल होता है, तो इसे अन्य क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकता है। इस पहल से नागरिकों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है।
दिल्ली के प्रदूषण की समस्या: ड्रोन तकनीक से समाधान की दिशा में एक कदम
दिल्ली में प्रदूषण की बढ़ती समस्या को ध्यान में रखते हुए, राजधानी के हॉटस्पॉट जोन में प्रदूषण के कारकों की पहचान के लिए दिल्ली सरकार ने एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत ड्रोन से मॉनिटरिंग शुरू की है। यह ड्रोन 120 मीटर की ऊंचाई से 200 मीटर की परिधि में प्रदूषण के स्रोतों की जानकारी जुटाएगा। खास बात यह है कि दिल्ली में 13 हॉट-स्पॉट ऐसे हैं, जहां प्रदूषण का स्तर सामान्य से काफी अधिक है।
इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य प्रदूषण को प्रभावी ढंग से कम करना है। शुक्रवार से सर्वे ऑफ इंडिया की एक मान्यता प्राप्त एजेंसी ने वजीरपुर हॉटस्पॉट पर ड्रोन मैपिंग का कार्य शुरू किया। टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल कर हम प्रदूषण की समस्या का समाधान करने में जुटे हैं। पर्यावरण विभाग और डीपीसीसी के इंजीनियर इस जानकारी का विश्लेषण करेंगे और रिपोर्ट के आधार पर प्रभावी कदम उठाएंगे। अगर यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा, तो अन्य हॉट-स्पॉट पर भी इसे लागू किया जा सकता है।
ड्रोन की खासियत
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि ड्रोन तकनीक वायु प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करने में एक महत्वपूर्ण साधन है। सेंसर से लैस ड्रोन उन क्षेत्रों तक पहुंचने में सक्षम हैं, जहां पारंपरिक तरीकों से निगरानी करना मुश्किल होता है। यह तकनीक हमें अनधिकृत औद्योगिक संचालन या निर्माण स्थलों जैसे महत्वपूर्ण हॉट-स्पॉट की पहचान करने में मदद करेगी।
संवेदनशीलता और कार्रवाई
मंत्री राय ने कहा कि ड्रोन से प्रदूषण के स्रोतों, जैसे कि खुले में आग जलाना, अनियमित निर्माण गतिविधियां, और यातायात जाम का तुरंत पता लगाया जा सकेगा। इसके अलावा, 13 हॉटस्पॉट के लिए अलग-अलग एक्शन प्लान बनाए गए हैं, और इसके लिए 13 समन्वय टीमों का गठन किया गया है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हॉटस्पॉट वाले इलाकों में 80 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन भी तैनात की गई हैं।
वायु गुणवत्ता का हाल
हालांकि, दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर चिंताजनक बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, शुक्रवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 270 दर्ज किया गया। हालाँकि, एनसीआर क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता सबसे खराब बनी हुई है। मौसम के अनुसार, हवा की गति भी प्रदूषण के स्तर को प्रभावित कर रही है, और आने वाले दिनों में और बढ़ने की संभावना है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए पहल
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए हैं। अक्टूबर में, एमसीडी ने 290 चालान किए हैं और इससे करीब 66 लाख रुपये की आय होने की उम्मीद है। ये राशि प्रदूषण नियंत्रण की मशीनरी के रखरखाव और अन्य संसाधनों पर खर्च की जाएगी।
निष्कर्ष
दिल्ली की प्रदूषण समस्या एक गंभीर चुनौती है, लेकिन ड्रोन तकनीक के माध्यम से की गई यह पहल एक सकारात्मक दिशा में कदम है। यह समय है कि हम सभी मिलकर इस समस्या का समाधान निकालें। हमें प्रदूषण नियंत्रण में अपने हिस्से की जिम्मेदारी समझनी होगी, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।