सड़कों के गड्ढों पर सरकार की गाज़: अभियंताओं की निलंबन की गूंज, जानिए पूरी सच्चाई!

प्रदेश की सड़कों में गड्ढों को लेकर सरकार ने अब सख्त कदम उठाते हुए मैनपुरी और बलिया के अभियंताओं पर कार्रवाई की है। निलंबन और जांच की मांग के बीच अभियंताओं में गुस्सा और भय का माहौल है। इस लेख में जानिए कैसे सरकार की सख्ती और अभियंताओं का आक्रोश एक नई दिशा ले रहा है।

सड़कों के गड्ढों पर सरकार की सख्ती: अभियंताओं पर गिरी गाज

प्रदेश में सड़कों के गड्ढों को लेकर सरकार ने सख्त कदम उठाना शुरू कर दिया है। इटावा-मैनपुरी, सिरसागंज-किशनी-विधुना, करहल-कुरावली, और अन्य कई प्रमुख मार्गों पर सड़कों की दयनीय स्थिति को देखते हुए मैनपुरी के दो सहायक अभियंताओं, विनोद कुमार और शिवओम, को निलंबित कर दिया गया है। ये दोनों अभियंता निर्माण खंड-3 में कार्यरत थे, और सरकार ने उनके खिलाफ समय पर काम पूरा न होने और गुणवत्ता में कमी के चलते यह कार्रवाई की है।

गड्ढे भरने में देरी, निलंबन और ठेकेदारों पर भी कार्रवाई

सरकार ने सड़कों की स्थिति को लेकर और भी कड़े कदम उठाए हैं। बलिया में स्वीकृत लंबाई से कम काम किए जाने पर ठेकेदार को भुगतान कर दिए जाने की घटना के बाद, वहां भी अभियंताओं पर गाज गिरी। अभियंता बाबर अली और अवर अभियंता राहुल सिंह को इस कारण से निलंबित किया गया। यह स्पष्ट संदेश देता है कि अब ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

अभियंताओं का रोष: त्वरित निलंबन पर उठाए सवाल

हालांकि, यूपी पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने अभियंताओं के निलंबन को लेकर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि अभियंता डिवीजन में 2-3 महीने से कार्य कर रहे थे, और इतने कम समय में ही उन्हें निलंबित कर देना अनुचित है। उन्होंने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सरकार से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि तीन महीने में किसी भी नए डिवीजन को समझने और काम करने की प्रक्रिया को समझने में समय लगता है, और इतनी जल्दी निलंबन की कार्रवाई करना अभियंताओं का मनोबल तोड़ने जैसा है। उनका मानना है कि यह भय का माहौल बनाने से न तो बिजली कंपनियों के राजस्व में वृद्धि होगी और न ही सेवा में सुधार आएगा।

मेरी राय: सरकार और अभियंताओं के बीच संतुलन आवश्यक

यह सच है कि सड़कों की खराब स्थिति किसी भी राज्य के विकास में बाधक होती है और सरकार का सख्त रुख एक सराहनीय कदम है। लेकिन अभियंताओं की ओर से उठाए गए सवाल भी अनदेखे नहीं किए जा सकते। किसी भी बड़े काम को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय और संसाधन की आवश्यकता होती है, और इसके बिना जल्दबाजी में की गई कार्रवाई कर्मचारियों में असंतोष पैदा कर सकती है।

सरकार को चाहिए कि वह सख्ती के साथ-साथ समस्या की जड़ को भी समझे। यदि किसी क्षेत्र में समय पर काम नहीं हो रहा है, तो उसके पीछे के कारणों की भी जांच होनी चाहिए। बेहतर प्रशासनिक सहयोग और समयसीमा के साथ स्पष्ट दिशा-निर्देश देना ही सही समाधान होगा।

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