केस-मुकदमों में फंसे लोग पुलिस और थाना को मैनेज करने की कोशिश करते हैं। लेकिन बिहार में डीजीपी आरएस भट्टी ने कुछ ऐसा खेल किया है कि थाना, पुलिस और जांच अधिकारी को सेट करना अब और भी मुश्किल हो जाएगा। थाना और थाना से जुड़े पुलिस अधिकारियों के मूवमेंट, सनहा-शिकायत-प्राथमिकी के एंट्री के आधिकारिक दस्तावेज स्टेशन डायरी को बिहार पुलिस ने अब डिजिटल करने की शुरुआत कर दी है। शुरुआत मंगलवार को पटना से हुई है और 15 दिसंबर के बाद इसे बिहार के बाकी जिलों में भी लागू करने का काम शुरू हो जाएगा। लक्ष्य है कि 1 जनवरी से थानों में कागज की स्टेशन डायरी बंद हो जाए और सब कुछ डिजिटल तरीके से दर्ज हो जिसे एसपी या दूसरे सीनियर अफसर जब चाहें, जहां से चाहें, देख सकें।
डिजिटल पुलिसिंग की दिशा में कदम उठाते हुए पहले थानों में प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया को डिजिटल करने का निर्देश दिया गया था। अब पहली जनवरी, 2024 से पुलिस थानों में भौतिक कॉपी की जगह पर डिजिटल स्टेशन डायरी लिखी जाएगी। इसके लिए राज्य के 964 थानों में सीसीटीएनएस पोर्टल पर ही फॉर्मेट डिजिटली उपलब्ध होगा। राज्य पुलिस मुख्यालय से सभी पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को निर्देश जारी कर दिया गया है।
DGP आरएस भट्टी ने थानेदारों से पूछा कि क्राइम कंट्रोल क्यों नहीं हो रहा है।
पटना जिले के सभी थानों में 5 दिसंबर से डिजिटल स्टेशन डायरी लिखने की शुरुआत हो गई है। राज्य के शेष 37 जिलों के थानों में भी 15 दिसंबर से डिजिटल स्टेशन डायरी लिखी जाने लगेगी। इससे भौतिक रूप से स्टेशन डायरी लिखने की प्रक्रिया पूरी तरह बंद हो जाएगी। स्टेशन डायरी लिखने की जिम्मेदारी थाना अध्यक्ष (एसएचओ) को जिम्मेदारी दी गयी है। उनकी अनुपस्थिति में अपर थाना अध्यक्ष जवाबदेह होंगे। डिजिटल स्टेशन डायरी से पारदर्शिता आएगी और अपराध या विधि व्यवस्था से जुड़े मामलों में समय पर कार्रवाई सुनिश्चित किया जा सकेगा।
एसपी जिले के किसी भी थाने की स्टेशन डायरी ऑनलाइन देख सकेंगे, डीआईजी-आईजी भी।
जिलों के एसपी अपने जिले के किसी भी थाना की स्टेशन डायरी एक क्लिक कर कंप्यूटर पर देख सकेंगे। रेंज के आईजी एवं डीआईजी अपने क्षेत्राधिकार वाले जिलों के किसी भी थाना की स्टेशन डायरी ऑनलाइन देख सकेंगे। थाना की दैनिक गतिविधियों को समझने के लिए भौतिक रूप से लिखी जाने वाली स्टेशन डायरी मंगाने की जरूरत नहीं होगी।
पुलिस थाने में स्टेशन डायरी वह लेखा-जोखा होता है जिसमें थाने की दैनिक गतिविधियों का विवरण होता है। धारा 116 के तहत इसे प्रत्येक दो घंटे पर लिखा जाता है और इसमें शिकायतों से लेकर गिरफ्तारी तक की सूचनाएं शामिल होती हैं। इस डायरी में विभागीय गतिविधियों का संक्षेप होता है, जो पुलिस कार्यक्रमों के संचालन और मामलों की संज्ञाना में मदद करता है।
अब पुलिस अधिकारी इस स्टेशन डायरी को अनलॉक करके केवल डिजिटल रूप से देख सकेंगे। यह सिस्टम केवल ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध होगा, जिससे कि सीनियर अधिकारी चाहे जहां चाहे डायरी की जांच कर सकें। इससे अनुशासन और देखभाल में सुधार हो सकता है और केसों में सही समय पर कदम उठाया जा सकेगा।
साथ ही, जब कोई केस न्यायालय में चलता है, तो डायरी का इस्तेमाल मामले के तथ्यों को साबित करने के लिए होता है। इसकी सहायता से यह भी पता चलता है कि किसकी शिकायत पहले आई थी और किसी ने विधि का उल्लंघन किया। इस नए नियम के तहत, पुलिस अब डिजिटल तरीके से स्टेशन डायरी का इस्तेमाल करेगी और डायरी की मैनेजमेंट में दिखने वाली गड़बड़ी को रोका जा सकेगा।