नई दिल्ली: भारत के जी20 शेरपा श्री अमिताभ कांत ने कहा, “भारत को अगले पांच साल में दोपहिया-तिपहिया वाहनों की बिक्री को 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य रखना चाहिए। यह न केवल वायु प्रदूषण को घटाएगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि हम इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स और थ्री-व्हीलर्स के विनिर्माण में वैश्विक चैंपियन बन सकें। आवागमन के सार्वजनिक साधन एक सभ्य समाज की रीढ़ है। ई-बसों पर भी हमारा ध्यान होना चाहिए।” उन्होंने यह बात काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की ओर से आयोजित ‘नेशनल डायलॉग ऑन इमर्जिंग ट्रेंड्स इन ई-मोबिलिटी’ को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने आगे यह भी कहा, “ई-मोबिलिटी ट्रांजिशन को प्रोत्साहित करने के लिए, वित्त पोषण बहुत महत्वपूर्ण है। पर्याप्त मात्रा में निजी-पूंजी का प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए फर्स्ट लॉस गारंटीज, क्रेडिट में विस्तार और मिश्रित वित्त पोषण जैसी प्रणालियों को लाने की आवश्यकता है। हमें निश्चित तौर पर 50 लाख (पांच मिलियन) फार्स्ट चार्जर्स लगाने और बैट्ररी स्वैपिंग व स्थानीय स्तर पर विनिर्माण को बढ़ाने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) पर जोर देने का लक्ष्य भी रखना चाहिए। इसके अलावा, मैं सीईईडब्ल्यू को इस असाधारण ई-मोबिलिटी डैशबोर्ड के लिए बधाई देना चाहता हूं, जो राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतियोगिता को प्रोत्साहित करेगा।”
उन्होंने सीईईडब्ल्यू के सेंटर फॉर एनर्जी फाइनेंस (सीईईडब्ल्यू-सीईएफ) के अध्ययन ‘ग्रीनिंग इंडियाज ऑटोमोटिव सेक्टर’ को भी जारी किया। ब्लूमबर्ग फिलैंथ्रोपी समर्थित इस रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) की बिक्री पहले के संपूर्ण वित्त वर्ष से ज्यादा रही। सितंबर 2022 में कुल ऑटो बिक्री में ईवी का हिस्सा 6 प्रतिशत रहा, जो जनवरी 2021 की तुलना में सिर्फ एक प्रतिशत अधिक था। सीईईडब्ल्यू-सीईएफ ने अपना इलेक्ट्रिक मोबिलिटी डैशबोर्ड
, एक निशुल्क ऑनलाइन टूल, को जारी किया है, जो 15 दिन पर ईवी के विस्तार के बारे देश, प्रदेश और आरटीओ के स्तर पर जानकारियों को अपडेट करता है।
कोविड महामारी के बाद ईवी ने बिक्री में तेज वृद्धि और बाजार में विस्तार असाधारण बढ़ोतरी देखी। सीईईडब्ल्यू-सीईएफ के अध्ययन में पाया गया है कि जिन राज्यों में उपभोक्ता प्रोत्साहन की नीतियां लागू हैं, वहां पर बिना प्रोत्साहन वाले राज्यों की तुलना में बाजार में दोगुना वृद्धि दर्ज की गई। ईवी को मिलने वाले ज्यादातर प्रोत्साहनों से बाजार में स्पष्ट बढ़ोतरी दिखाई दी है। असम, गोवा और गुजरात जैसे उच्च प्रोत्साहन वाले राज्यों ने अपनी प्रोत्साहन नीतियों को नोटिफाई करने के छह महीने के भीतर ईवी की विक्री में लगभग 20 गुना की वृद्धि दर्ज की गई। वहीं, कम प्रोत्साहन वाले राज्यों ने अपने ईवी बाजार में सिर्फ 4.5 गुना वृद्धि दर्ज की।
भारत के 21 राज्यों ने स्वयं की ईवी नीतियों को अधिसूचित किया है। इनमें से 15 राज्य अपने यहां ईवी खरीदारों को सब्सिडी के रूप में प्रोत्साहन दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु ने हाल ही में अपनी ईवी नीतियां घोषित की हैं।
फेम-II (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) योजना इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स को बढ़ावा देने में बहुत असरदार रही है। इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स हिस्सा, फेम-II योजना के 56 प्रतिशत यूनिट लक्ष्य को हासिल कर चुका है। लेकिन ई-रिक्शा सहित इलेक्ट्रिक-थ्री-व्हीलर्स और कमर्शियल इलेक्ट्रिक-फोर-व्हीलर्स अभी काफी पीछे हैं। ये दोनों ईवी फेम-II का सिर्फ 12 प्रतिशत यूनिट लक्ष्य ही प्राप्त कर सके हैं। इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स में आग लगने की घटनाओं के असर के बावजूद, समय पर उठाए गए नीतिगत कदमों ने ईवी की बिक्री को जल्द सुधारने में मदद की।
सीईईडब्ल्यू-सीईएफ के अध्ययन में यह भी पाया गया है कि देश में वित्त वर्ष 2021-22 और वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में ईवी की सर्वाधिक बिक्री करने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश (1.65 लाख ईवी) सबसे आगे है। प्रदेश में ईवी का विस्तार लगभग 4 प्रतिशत है। महाराष्ट्र 1.12 लाख ईवी की बिक्री के साथ दूसरे स्थान पर है। लेकिन ईवी के विस्तार के आधार पर दिल्ली सबसे आगे है। यह कुल वाहनों में ईवी का हिस्सा 8.30 प्रतिशत है। असम दूसरे स्थान पर है, जहां ईवी का विस्तार 5.91 प्रतिशत है। आरटीओ के स्तर पर, वित्त वर्ष 2021-22 और वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में 21,665 ईवी की बिक्री के साथ पुणे कुल बिक्री में सबसे आगे रहा है। लेकिन दिल्ली की बुराड़ी टैक्सी यूनिट 46.4 प्रतिशत ईवी के साथ भारत का सबसे ग्रीन आरटीओ है।
सीईईडब्ल्यू के सीईओ डॉ अरुणभा घोष ने कहा, “भारत के ऑटो सेक्टर में ईवी की बहुत महत्वपूर्ण जगह रही है, और यह लगातार मजबूत हो रही है। हम इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स और थ्री-व्हीलर्स के लिए एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के तौर पर उभरने के लिए एक अच्छी स्थिति में हैं। भारत के ऑटो क्षेत्र के ईवी ट्रांजिशन के लिए एक आधिकारिक लक्ष्य घोषित करना चाहिए। यह इस क्षेत्र के राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर विकास को और गति प्रदान कर सकता है। वास्तव में, राज्यों को इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए ज्यादा अनुकूल वाहन श्रेणियों को हरहाल में प्रोत्साहन देना चाहिए। भारत के ऑटो सेक्टर का सफल इलेक्ट्रिफिकेशन ऐसे परिवर्तन का एक बेहतरीन उदाहरण हो सकता है, जो रोजगार पैदा करने के साथ-साथ सुसंगत और सतत् ढंग से आर्थिक विकास को रफ्तार भी देता है।
सीईईडब्ल्यू-सीईएफ के अध्ययन में सामने आया है कि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स और ई-रिक्शा संयुक्त रूप से भारत में ईवी में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रखते हैं, जो कुल बाजार का 93.5 प्रतिशत है। अकेले वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में लगभग तीन लाख इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स और 1.7 लाख ई-रिक्शा की बिक्री हुई, जो इन दोनों ही श्रेणियों के लिए अब तक की सबसे ज्यादा बिक्री का रिकॉर्ड है। हालांकि, इतनी ज्यादा संख्या होने के बावजूद कुल टू-व्हीलर्स में ईवी का विस्तार सिर्फ 4 प्रतिशत है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्य ईवी बिक्री में अपनी सफलता का श्रेय इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स श्रेणी को दे सकते हैं, जबकि, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा में ईवी की बिक्री में ई-रिक्शा की संख्या ज्यादा है जो अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं।
सीईईडब्ल्यू-सीईएफ के डायरेक्टर गगन सिद्धू ने कहा, “भारत में ईवी में ई-टू-व्हीलर्स और ई-रिक्शा की संख्या सबसे ज्यादा है। इसमें राज्यस्तरीय प्रयासों के साथ नीति समर्थन ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमारी रिपोर्ट ने पाया है कि ईवी के लिए फेम-II सब्सिडी के अलावा अपने उपभोक्ता को प्रोत्साहन देने वाले राज्यों में ईवी की बिक्री में बिना ऐसी नीति वाले राज्यों की तुलना में दोगुना से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2024 के अंत तक फेम-II योजना समाप्त हो जाने के अनुमान के साथ, जिन राज्यों ने उपभोक्ता प्रोत्साहनों को शामिल करते हुए अब तक अपनी ईवी नीतियां नहीं जारी की हैं, उन्हें यह काम जल्द से जल्द कर लेना चाहिए।”
सीईईडब्ल्यू-सीईएफ अध्ययन भारत के ऑटोमोटिव सेक्टर को सभी स्तरों पर उचित दिशा देने के लिए एक आधिकारिक ईवी ट्रांजिशन लक्ष्य निर्धारित करने का सुझाव देता है। ईवी बाजार में वृद्धि का उपभोक्ता प्रोत्साहन से संबंध को देखते हुए, जिन राज्यों ने पहले से ऐसी ईवी नीतियां नहीं जारी की हैं, उन्हें अपने स्थानीय बाजारों को प्रोत्साहित करने के लिए इस पर विचार करना चाहिए। सबसे अंत में, बड़ी संख्या में इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर्स की बिक्री बगैर फेम-II सब्सिडी के होती है। इसलिए, सरकारें इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर्स के स्वीकृत मॉडल्स की बिक्री की मात्रा बढ़ाने के लिए प्रति यूनिट ज्यादा प्रोत्साहन देने पर विचार कर सकती है।
यह अध्ययन सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के वाहन सेवा पोर्टल से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है। वाहन सेवा पोर्टल ने रिपोर्ट जारी होने के समय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, लक्षद्वीप और मध्य प्रदेश के आंकड़ों को हटा दिया था।