क्या ढल रहा है सुशासन बाबू का राजनीति सूरज?

बिहार में विधानसभा का चुनाव भले ही 2025 में है लेकिन राजनीतिक के बम और गोली अभी से चलना शुरू हो गया है इसका कारण है 2024 का लोकसभा चुनाव जिसे बिहार का सेमीफाइनल माना जा रहा है वैसे अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब उपेंद्र कुशवाहा अपने हक की लड़ाई करते नीतीश जी के नाक में दम किए हुए थे
और अंत में अपनी पार्टी बनाकर नीतीश के लिए एक बड़ा राजनीतिक मुसीबत खड़ा कर दिया l इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार का दौरा कर 2024 की राजनीति की बिगुल बजा दी और नीतीश कुमार पर हमला बोल दिया l अमित शाह ने कहा कि अब नीतीश कुमार के लिए बीजेपी का दरवाजा सदा के लिए बंद हो चुका है l
वहीं बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग हुए चिराग पासवान भी बीते उपचुनाव में बीजेपी से अपनी नजदीकी या उजागर कर दी और बीजेपी के उम्मीदवार के पक्ष में जमकर प्रचार भी किया I

इधर बीजेपी ने वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश साहनी को भी अपने साथ जोड़कर बिहार के मल्लाह जाति को अपने पाले में करने की तैयारी शुरू कर दी है l
बिहार की राजनीतिक में जाति का खूब चलता है ऐसे में बीजेपी की नई रणनीति को समझने के लिए हमें बिहार की जातीय समीकरण एवं इसकी सियासी ताकत को समझना होगा l

सबसे पहले बात करते हैं चिराग पासवान की जो अपने पिता रामविलास पासवान की विरासत को संभालने की कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे हैं I आपको बता दें कि रामविलास पासवान को दुसाध जाति का कद्दावर नेता माना जाता था बिहार में यह लगभग 5% वोट बैंक रखते हैं जिनका अभी तक कोई पलायन नहीं हुआ है l चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस के बागी तेवर के कारण भले ही लोजपा का दो फाड़ हो गया है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि पिता का विरासत चिराग पासवान के पास ही जाएगी l आपको बताते चलें कि चिराग पासवान ने एनडीए से गठबंधन तोड़ने के बाद भी बीजेपी के साथ उनका याराना कभी कम नहीं हुआ l यहां तक कि चिराग ने खुद को मोदी का हनुमान तक बता दिया था l

ऐसे में बीजेपी ने चिराग पासवान उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश साहनी को अपने पाले में कर नीतीश कुमार की भरपाई का जुगाड़ कर लिया है I
ऐसे में यह कहना अनुचित नहीं होगा कि सुशासन बाबू की राजनीतिक सूरज ढलता हुआ नजर आ रहा है I

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