उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि अधिक से अधिक लोगों को वेदों से परिचित कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ लोग भारत की छवि खराब करने की कोशिश में लगे रहते हैं और ऐसे प्रयासों को विफल करना हर भारतीय का कर्तव्य है। उपराष्ट्रपति शनिवार को हरिद्वार में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। विश्वविद्यालय द्वारा यह कार्यक्रम स्वामी दयानंद सरस्वती के 200वें जयंती वर्ष में स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान दिवस पर आयोजित किया जा रहा है।
धनखड़ ने कहा, “यह कहते हुए कि गुरुकुल कांगड़ी देश की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और निर्माण का एक प्रमुख केंद्र रहा है, उन्होंने कहा कि कुछ पश्चिमी विश्वविद्यालय भारत की संस्कृति और इसकी विकासात्मक यात्रा की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। “हमारे महान राष्ट्र में कुछ लोग ऐसे हैं जो भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रहे हैं। आपको उनके पाचन को बेहतर बनाने में मदद करनी चाहिए। वे हमारे लोग हैं लेकिन गुमराह हैं।’ ऐसे लोगों को मातृभाषा में समावेशी शिक्षा व्यवस्था स्वीकार्य नहीं है। वह दिन दूर नहीं जब सारी शिक्षा मातृभाषा में उपलब्ध होगी।”
उन्होंने अधिक से अधिक लोगों को वेदों के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यह राष्ट्र निर्माण और दुनिया में स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति को देश के सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि नागरिकों को अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व करना चाहिए।
उन्होंने कहा, “भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा धर्म है। हालाँकि चिंता की बात यह है कि कुछ लोग अपनी संस्कृति, गौरवशाली इतिहास और वर्तमान प्रगति के प्रति हिकारत की भावना रखते हैं और देश की महान छवि को धूमिल करने की कोशिश में लगे रहते हैं। ऐसे प्रयासों को विफल करना प्रत्येक भारतीय की जिम्मेदारी है।’ हमारी संस्कृति, राष्ट्रवाद और हमारे अस्तित्व का विरोध करने वाली शक्तियों को उचित जवाब दिया जाना चाहिए।”
धनखड़ ने आगे कहा कि गुलाम मानसिकता से छुटकारा पाने का प्रयास किया जाना चाहिए क्योंकि कुछ लोग अभी भी उपनिवेशवाद के गुलाम हैं। उन्होंने हाल ही में संसद में पारित भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक का हवाला दिया और कहा कि ये ऐतिहासिक हैं। उन्होंने कहा कि न्याय के बजाय सजा पर केंद्रित औपनिवेशिक युग के कानूनों के तहत नागरिक पीड़ित थे।
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि भारत तेज गति से प्रगति कर रहा है और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि यह यूनाइटेड किंगडम से आगे निकल गया है और जर्मनी और जापान से भी आगे निकलने वाला है। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति की पत्नी सुदेश धनखड़, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, विश्वविद्यालय के कुलपति सत्यपाल सिंह और अन्य भी उपस्थित थे।