प्रदेश के राजकीय विद्यालयों में अब महिलाएं निभाएंगी अहम भूमिका! शिक्षा के क्षेत्र में नया कदम—महिला प्रेरक समूह, जो बच्चों की समस्याएं सुलझाएंगे, स्वास्थ्य और स्वच्छता का ख्याल रखेंगे और बालक-बालिका भेदभाव को खत्म करने में मदद करेंगे। जानिए, कैसे यह पहल समाज में बड़ा बदलाव ला रही है और कैसे छात्र-छात्राओं को मिलेगा सपनों की उड़ान भरने का मौका!
प्रदेश के राजकीय विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के अभिभावकों, विशेषकर महिलाओं की भूमिका को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। अब विद्यालयों में महिला प्रेरक समूहों का गठन किया जाएगा, जो शिक्षा के साथ-साथ बच्चों की समस्याओं को भी सुलझाने में अहम भूमिका निभाएंगे। इस संबंध में समग्र शिक्षा की राज्य परियोजना निदेशक झरना कमठान ने संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं।
इन निर्देशों के तहत, विद्यालय प्रबंध समिति, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की माता, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग की महिलाओं और महिला मंगल दल की सदस्यों सहित 12 महिलाओं का एक प्रेरक समूह बनाया जाएगा। यह समूह उन बच्चों की पहचान करेगा जिन्हें विद्यालय जाने में किसी प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। समूह न केवल इन समस्याओं का समाधान करेगा, बल्कि स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़े कार्यशालाओं का भी आयोजन करेगा, ताकि बच्चों को बेहतर वातावरण मिल सके।
इसके अलावा, बालक और बालिका में अंतर की सोच को समाप्त करने के लिए अभिमुखीकरण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में पोषण और जन्म नियंत्रण से संबंधित जानकारी भी प्रदान की जाएगी, जिसके लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की एएनएम की सहायता ली जाएगी। महिला प्रेरक समूह हर माह के अंतिम शनिवार को विद्यालय स्तर पर प्रतिभा दिवस जैसे आयोजनों में भी सहयोग करेंगे, जहां बच्चों को उनके सपनों की उड़ान भरने का मौका दिया जाएगा।
मेरी राय:
यह कदम विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर को बेहतर बनाने के लिए एक सकारात्मक प्रयास है। महिला प्रेरक समूह न केवल बच्चों की समस्याओं को समझने और सुलझाने में मदद करेंगे, बल्कि वे समाज में महिलाओं की भूमिका को भी सशक्त बनाएंगे। इससे बालिकाओं में आत्मविश्वास और नेतृत्व कौशल का विकास होगा, जो कि लंबे समय में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है। महिलाओं की सक्रिय भागीदारी न केवल बच्चों के शैक्षणिक जीवन को सुधारने में सहायक होगी, बल्कि परिवार और समाज में उनकी भूमिका को भी सुदृढ़ करेगी।