बारिश के अलर्ट को देखते हुए कुमाऊं के अल्मोड़ा, चंपावत, बागेश्वर, नैनीताल जिलों में शुक्रवार को पहली से 12वीं तक के सभी शासकीय, अशासकीय, निजी विद्यालयों स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहेंगे।
उत्तराखंड: पहाड़ से तराई भाबर तक बृहस्पतिवार को बारिश ने जनजीवन अस्तव्यस्त कर दिया। तराई में जलभराव और पहाड़ों पर जगह-जगह 57 सड़कें बंद हो गईं। मौसम विभाग के भारी बारिश के अलर्ट को देखते हुए कुमाऊं के अल्मोड़ा, चंपावत, बागेश्वर, नैनीताल जिलों में शुक्रवार को पहली से 12वीं तक के सभी शासकीय, अशासकीय, निजी विद्यालयों स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहेंगे। चारों जिलों के जिलाधिकारी ने इस आदेश की घोषणा की। हालांकि प्रधानाचार्य, शिक्षक और अन्य स्टाफ को स्कूल जाना होगा।
बागेश्वर में पांच, अल्मोड़ा में नौ, चंपावत में सात, पिथौरागढ़ में 13 और नैनीताल में 23 सड़कें बंद हुईं। सड़कों के बंद होने से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रसोई गैस, खाद्यान्न सहित अन्य जरूरी सामग्री की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र के दूध और सब्जी उत्पादक अपने उत्पादों को बाजार तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। डीडीहाट के ग्राम सभा खोली भातड़ में मकान का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। भूस्खलन के कारण टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग एक घंटे बंद रहा। धारचूला के दारमा घाटी में चल गांव को जोड़ने वाली धौली नदी किनारे लगी ट्रॉली बह गई है। इस कारण 50 परिवारों का शेष दुनिया से संपर्क कट गया है। नालों के भी रौद्र रूप धारण करने से कीड़ा जड़ी दोहन करने गए 25 लोगों को जान जोखिम में डालकर गांव पहुंचना पड़ा। ठुलीगाड़ से जौलजीबी के लिए जाने वाली निर्माणाधीन सड़क पर चरण मंदिर के पास मलबा गिर गया। भूस्खलन से पुनाबे-सिप्टी सड़क के बंद होने से 40 से अधिक छात्र-छात्राएं सिप्टी जीआईसी नहीं पहुंच सके। मार्ग बंद होने से पूर्णागिरि धाम क्षेत्र और आसपास के गांवों का टनकपुर से सड़क संपर्क पूरी तरह कट गया है।