मुख्य सचिव ने सरकारी संपत्तियों से अतिक्रमण हटाए जाने के संबंध में सभी जिलाधिकारियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में निर्देश दिए हैं।
उत्तराखंड: खास सचिव डॉ. एसएस संधु ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिए हैं कि वे पुराने 70 से 80 वर्षों के सरकारी भूमि रिकॉर्ड की जांच करें, जिनमें विवाद और संशय हैं। इन भूमियों को पहचानने और उनके रिकॉर्ड सुधारने के लिए टीमें गठित करने के भी दिशानिर्देश दिए गए हैं।
मुख्य सचिव ने सोमवार को सचिवालय में वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों को बैठक बुलाई थी, जिसमें सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण को दूर करने की बातचीत की गई थी। उन्होंने उन्हें सरकारी भूमि की पहचान के लिए चिह्नित करने के निर्देश दिए हैं। वे उन समस्याओं की भी जानकारी लेने का आदेश दिया था, जिनसे वे काम कर रहे थे।
उन्होंने इस मामले में सुझाव भी मांगे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी भूमि को अतिक्रमण से बचाने के लिए डिजिटल मानचित्र तैयार किए जाएं और फोटो और वीडियो के माध्यम से अतिक्रमण को रोकने का प्रयास किया जाए। उनकी बैठक में प्रमुख सचिव आरके सुधांशु और उप सचिव नितिन भदौरिया भी शामिल थे, जिन्होंने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों से जुड़ा।
उद्देश्य सिर्फ एक बार अतिक्रमण को हटाना नहीं है, बल्कि इसके बाद भी उसकी पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए। जिन सरकारी भूमियों पर अतिक्रमण नहीं हुआ है, उन्हें सुरक्षित रखने के लिए सीमांकन और अन्य आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। और जिनमें अतिक्रमण हुआ है, उन्हें खाली करने का कार्य शुरू किया जाएगा।
मुख्य सचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण रोकने के लिए अधिकारियों की भी जिम्मेदारी होनी चाहिए। अगर किसी सरकारी भूमि पर अतिक्रमण होता है, तो उन अधिकारियों को उसके लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
मुख्य सचिव ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम जांचें कि किसके नाम पर कौन सी भूमि दर्ज है, और इसके लिए हमें पिछले 70 या 80 वर्षों के रिकॉर्ड की जांच करनी चाहिए। वह यह भी बताया कि जल्द ही एक पोर्टल तैयार होगा जिस पर सरकारी भूमि के रिकॉर्ड दर्ज किए जाएंगे और इससे आगामी में इन रिकॉर्ड्स को आसानी से एक जगह से एक्सेस किया जा सकेगा।
Dhami ji in action.