अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव 2024 की प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। प्रत्याशियों को चुने जाने के इस प्रोसेस में भारतवंशी विवेक रामास्वामी को उनके समर्थक उपराष्ट्रपति मान रहे हैं। समर्थकों ने आयोवा में ट्रंप के सामने नारे लगाए। इस पर उन्होंने जवाब भी दिया।
अमेरिका में 2024 के राष्ट्रपति चुनाव की शुरुआत हो चुकी है और रिपब्लिकन पार्टी (GOP) के द्वारा उत्कृष्ट भूमिका निभा रहे भारतवंशी नेता विवेक रामास्वामी के समर्थन की बहस तेज हो रही है। हालांकि, उनका आयोवा कॉकस चुनाव में पिछड़ने के बाद, वे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में आए हैं। इस बदलाव ने राजनीतिक मंच पर एक रोचक मोड़ पैदा किया है।
आयोवा कॉकस के परिणामों के बाद, जब रामास्वामी ने ट्रंप के समर्थन का एलान किया, तो उसके समर्थकों ने उन्हें अमेरिका के भावी उपराष्ट्रपति के रूप में चिन्हित किया है। ट्रंप ने इसका सख्त जवाब दिया और कहा कि रामास्वामी लंबे समय तक उनके साथ काम करेंगे। यह एक महत्वपूर्ण घटना है जिसने राष्ट्रपति चुनाव में नए समर्थन के संकेत को बढ़ा दिया है।
इस खिलवार में, सोशल मीडिया पर एक वीडियो में दिखा गया है कि रामास्वामी के समर्थक उनके समर्थन में उत्साह से नारे बोल रहे हैं, और ट्रंप की मौजूदगी में हुई नारेबाजी में रामास्वामी के समर्थक ने उन्हें अमेरिका के भविष्यवाणीकारी उपराष्ट्रपति के रूप में चिन्हित किया है। ट्रंप ने भी इसे स्वीकारा है और कहा है कि रामास्वामी एक शानदार नेता है और वह उनके साथ काम करेगा।
यह तबका दिखाता है कि रामास्वामी के समर्थन में एक नया दृष्टिकोण है और ट्रंप की नेतृत्व में उपराष्ट्रपति की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। हालांकि, इसके बावजूद, ट्रंप के सलाहकार जेसन मिलर ने इस संभावना को कम माना है और कहा है कि मतदाताओं की राय को देखते हुए यह जल्दबाजी हो सकती है।
रामास्वामी की चुनौती भी इसलिए बढ़ी है क्योंकि चुनावी अभियान के दौरान उनके समर्थकों ने ट्रंप को धोखा देने का आरोप लगाया है। इस आरोप को बढ़ाते हुए ट्रंप ने सोशल मीडिया पर रामास्वामी के खिलाफ तीखा हमला बोला है, जिसका परिणामस्वरूप दोनों के बीच एक रोचक और ताक़तवर मुकाबला हो रहा है।
आयोवा कॉकस के नतीजों के बाद, ट्रंप की भारी जीत ने राष्ट्रपति चुनाव में उनकी मजबूती को दिखाया है और रामास्वामी ने भी इसे स्वीकार किया है। उन्होंने कहा है कि वे अमेरिका और रिपब्लिकन पार्टी की सेवा करने के लिए तैयार हैं और इसलिए ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि रामास्वामी ने नेतृत्व से बाहर होने के बावजूद एक सकारात्मक स्थिति बनाए रखने का फैसला किया है।