Uniform Civil code: उत्तराखंड आने वाले सप्ताह में समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है .सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना देसाई के नेतृत्व में अगले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस विषय में एक रिपोर्ट सौंपी जाएगी .बता दें कि उत्तराखंड की धामी सरकार ने समान नागरिक संहिता के ऊपर रिपोर्ट तैयार करने का पन्नेल पिछले साल ही गठित कर लिया था .
इस विषय को लेकर न्यायाधीश रंजना देसाई का कहना है -इस पैनल ने उत्तराखंड के अलग – अलग क्षेत्रों में जा कर वहां की प्रथाओं और समस्याओं को समझने का प्रयत्न किया. पैनल के जरिए बनाई गई रिपोर्ट को जल्द से जल्द तैयार करके राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा.
रिपोर्ट को लेकर न्यायाधीश देसाई का कहना है कि हमने इस रिपोर्ट को महिलाओं , बच्चो और विकलांग व्यक्तियों के विषय को ध्यान में रखकर तैयार किया है. इसमें लैंगिक समानता को भी ध्यान में रखा गया है .जो सामान नागरिक संहिता संविधान के अनुछेद 44 के अंतर्गत आती है . इसके अंतर्गत व्यक्तिगत कानून बनाने और लागू करने का एक प्रस्ताव है, जो सभी नागरिकों पर उनके धर्म, लिंग या यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना समान रूप से लागू होगा .
गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार दीपावली के बाद वाले सप्ताह में विधान सभा का एक विशेष सत्र बुला सकती है. जिसमें कयास है कि वह उसी में समान नागरिक संहिता का विधेयक पारित कर सकती है. जिसके बाद उसे कानूनी दर्जा प्राप्त होगा .
27 सितम्बर को विशेष समिति का कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही सरकार ने उसका कार्यकाल चार महीने के लिए बढ़ा दिया था .समान नागरिक संहिता का वर्णन भारतीय संविधान के भाग 4 के अनुछेद 44 के राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में किया गया है .
अनुच्छेद 44 में निति निर्देशक तत्वों के तहत कहा गया है कि, भारत के राज्य क्षेत्र में सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता यानि यूनिफार्म सिविल कोड को सुरक्षित करने की कोशिश करनी चाहिए.’