उत्तराखंड में अब शादी और तलाक का पंजीकरण आसान हो गया है। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने के साथ, नगर निकायों द्वारा यह प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। लोगों को अब उप रजिस्ट्रार के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। जानिए कैसे यह नया बदलाव आपके जीवन को और भी सरल और सुविधाजनक बना रहा है।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की नियमावली लागू होने के साथ विवाह और तलाक की प्रक्रियाओं में एक बड़ा बदलाव आ रहा है। अब इनका पंजीकरण नगर निगम, नगर पालिका, और नगर पंचायत स्तर पर ही किया जाएगा। इसके तहत नगर आयुक्त या अधिशासी अधिकारी विवाह और तलाक के पंजीकरण के लिए सक्षम होंगे। इससे पहले ये पंजीकरण उप रजिस्ट्रार द्वारा किया जाता था, जिसके लिए लोगों को दूर जाना पड़ता था और यह प्रक्रिया भी काफी जटिल थी।
वित्त मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए बताया कि यूसीसी के लागू होने के बाद सरकार के पास विवाह और तलाक के ब्यौरे को शीघ्रता से पहुंचाना जरूरी हो गया है। इसलिए इन प्रक्रियाओं को सरल, सुलभ और त्वरित बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
अब निकायों के सक्षम अधिकारी ही उप रजिस्ट्रार का कार्य करेंगे और पंजीकरण की सारी प्रक्रिया ऑनलाइन की जाएगी, जिसे यूसीसी पोर्टल के माध्यम से पूरा किया जाएगा। इससे न केवल लोगों का समय बचेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि पंजीकरण की सभी जानकारी एक केंद्रीकृत डाटा बेस में सुरक्षित रूप से संग्रहित की जा सके।
क्यों है यह बदलाव अहम?
यह बदलाव खासकर उन लोगों के लिए राहत लाएगा जो दूर-दराज के क्षेत्रों में रहते हैं और जिनके लिए पहले उप रजिस्ट्रार तक पहुंचना मुश्किल होता था। अब निकाय स्तर पर ही पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे स्थानीय अधिकारियों के माध्यम से यह कार्य सरल और तेज़ी से हो सकेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि इस कार्य के लिए अधिकारियों को कोई अतिरिक्त वेतन भत्ता नहीं मिलेगा, जिससे सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार भी नहीं पड़ेगा।
मेरी राय:
समान नागरिक संहिता के अंतर्गत यह कदम लोगों की जीवनशैली को अधिक संगठित और सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। विशेष रूप से विवाह और तलाक जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को सरल बनाने से न केवल लोगों का समय बचेगा, बल्कि इससे पारदर्शिता भी बढ़ेगी। यह सुनिश्चित करेगा कि कानून के सभी प्रावधान बिना किसी बाधा के लागू हों, और लोगों को उनके अधिकार और सेवाएं समय पर मिल सकें।
इस तरह के कदम उत्तराखंड को डिजिटल भारत के उद्देश्यों के करीब ले जाएंगे और साथ ही शासन-प्रणाली में आम लोगों की भागीदारी को और भी बढ़ावा मिलेगा।