उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) पर गठित कमेटी ने यूसीसी के लिए अपना मसौदा तैयार कर लिया है। समिति ने बैठकों, परामर्शों, क्षेत्र के दौरे और विशेषज्ञों और जनता के साथ बातचीत के बाद मसौदा तैयार किया। इस प्रक्रिया में 13 महीने से अधिक का समय लगा।
उत्तराखंड जुलाई के मध्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने वाला गोवा के बाद देश का दूसरा राज्य बन सकता है। जुलाई में ही विधानसभा में जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई समिति के अंतिम मसौदे को मंजूरी मिल सकती है। वहीं, यूसीसी से जुड़ी भ्रांतियों और विरोध का जवाब देने के लिए भाजपा ने तैयारियां की हैं। इसके तहत पार्टी के कार्यकर्ता अभियान चला कर इससे जुड़ी आशंकाएं दूर करेंगे।
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में यूसीसी लागू करने का जिक्र किया था। इससे पहले उत्तराखंड द्वारा तैयार कानून अहम हो सकता है। ऐसे में जानना जरूरी है कि उत्तराखंड में यूसीसी को लेकर अभी क्या हुआ है? इसके प्रावधान क्या हैं? यह कितने समय में बनकर तैयार हुआ? यह कब तक लागू हो जाएगा? आइए जानते हैं…
उत्तराखंड में यूसीसी को लेकर अभी क्या हुआ है?
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) पर गठित कमेटी ने यूसीसी के लिए अपना मसौदा तैयार कर लिया है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने से पहले राज्य के सभी वर्गों, धर्मों, राजनीतिक दलों से बातचीत करने का दावा किया है। कमेटी को समान नागरिक संहिता पर 20 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं।
कमेटी की मानें तो समान नागरिक संहिता पर अंतिम रिपोर्ट बनाने के लिए कम से कम 143 बैठकों का आयोजन किया गया। अंतिम बैठक 24 जून 2023 को दिल्ली में हुई थी, जिसमें उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों के लोगों से बातचीत कर उनकी राय ली गई थी।
कमेटी को 20 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं, तो उसने लगभग दो लाख लोगों से सीधे मिलकर इस मुद्दे पर उनकी राय जानी है। कमेटी ने कहा है कि रिपोर्ट तैयार करने के लिए उसने राज्य के हर जिले के हर समूह से बात की है और रिपोर्ट में सबकी बातों को समाहित किया गया है।
उन्होंने कहा कि समिति ने राजनीतिक दलों, राज्य वैधानिक आयोगों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ विभिन्न धार्मिक नेताओं के साथ भी बातचीत की। उत्तराखंड यूसीसी समिति ने दो जून को दिल्ली में विधि आयोग के अध्यक्ष और उसके सदस्यों के साथ भी बातचीत की।
कितने समय में तैयार हुआ मसौदा?
उत्तराखंड सरकार ने पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी। इस समिति को उत्तराखंड के निवासियों के व्यक्तिगत नागरिक मामलों को विनियमित करने वाले विभिन्न मौजूदा कानूनों की जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके साथ ही इसे विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेने, रखरखाव जैसे विषयों पर मसौदा कानून या कानूनों को तैयार करना या मौजूदा कानूनों में बदलाव का सुझाव देने का काम भी सौंपा गया था।
इस संबंध में एक अधिसूचना 27 मई, 2022 को जारी की गई थी और शर्तें पिछले साल 10 जून को अधिसूचित की गईं थीं। समिति ने बैठकों, परामर्शों, क्षेत्र के दौरे और विशेषज्ञों और जनता के साथ बातचीत के बाद मसौदा तैयार किया। इस प्रक्रिया में 13 महीने से अधिक का समय लगा।
कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने कहा कि समिति ने अपनी पहली बैठक पिछले साल चार जुलाई को दिल्ली में की थी और तब से 63 बार बैठक हो चुकी है। मसौदे के महत्वपूर्ण पहलुओं पर बुधवार को 10 घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में विचार-विमर्श किया गया और इसे अंतिम रूप दिया गया।
इसके प्रावधान क्या हैं?
रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि महिलाओं के लिए विवाह की आयु बढ़ाकर 21 वर्ष की जाएगी और विवाह पंजीकरण अनिवार्य किया जाएगा। जो व्यक्ति अपनी शादी का पंजीकरण नहीं कराएंगे वे सरकारी सुविधाओं के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे।
लिव-इन जोड़ों को अपने फैसले के बारे में अपने माता-पिता को सूचित करना होगा और ‘हलाला’ और ‘इद्दत’ की प्रथा बंद कर दी जाएगी। बहुविवाह (एक से अधिक पत्नियां रखने की प्रथा) भी गैरकानूनी होगा। पति-पत्नी को तलाक लेने का समान हक दिया जाएगा। मसौदे में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भी सिफारिश की गई है।
यूसीसी समिति की अध्यक्ष देसाई ने शुक्रवार को कहा, ‘हमारा जोर महिलाओं, बच्चों और दिव्यांग व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए लैंगिक समानता सुनिश्चित करना है। हमने मनमानी और भेदभाव को खत्म कर सभी को एक समान स्तर पर लाने का प्रयास किया है। समिति ने मुस्लिम देशों सहित विभिन्न देशों में मौजूदा कानूनों का अध्ययन किया है।
उन्होंने कहा, ‘हमने सब कुछ देखा है, पर्सनल लॉ का अध्ययन किया है। हमने विधि आयोग की रिपोर्ट का भी अध्ययन किया है। यदि आप हमारा मसौदा पढ़ेंगे तो आपको लगेगा कि समिति ने हर चीज पर विचार किया है। यदि मसौदा लागू किया जाता है, तो हमारे देश का धर्मनिरपेक्ष ताना-बाना मजबूत होगा।’
यह कब तक लागू हो जाएगा?
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार होने पर सीएम धामी ने प्रदेशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा ‘जल्द ही देवभूमि उत्तराखण्ड में यूसीसी लागू किया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि यूसीसी पर भारत के संविधान की मूल भावना के अनुरूप ही निर्णय होने हैं। सबके हित में निर्णय आएगा। उत्तराखंड से इसकी शुरुआत हुई है। देवभूमि इसकी अगुआई कर रही है। हमारी यह अपेक्षा है कि आने वाले समय में देशभर में यूसीसी लागू हो।
इस बीच रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि धामी सरकार जुलाई के दूसरे सप्ताह में विधानसभा का सत्र बुला सकती है। इस दौरान समिति के अंतिम मसौदे को मंजूरी दिला सकती है।
उत्तराखंड में भाजपा का था चुनावी वादा
यूसीसी भाजपा का चुनावी मुद्दा रहा है। पार्टी ने राज्य विधानसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में इसे लागू करने का वादा किया था। राज्य में सरकार बनने के बाद मार्च 2022 में यह कैबिनेट में पास हुआ था।