बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने इस्तीफे के पीछे अमेरिका की साजिश का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि अगर उन्होंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता अमेरिका को सौंप दी होती और उसे वहाँ बेस बनाने की अनुमति दी होती, तो वे सत्ता में बनी रह सकती थीं।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने इस्तीफे के पीछे अमेरिका की भूमिका होने का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि यदि उन्होंने बंगाल की खाड़ी में स्थित सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता अमेरिका को सौंप दी होती और वहां उसे बेस बनाने की अनुमति दी होती, तो शायद वे सत्ता में बनी रह सकती थीं। भारत के दौरे के दौरान, 76 वर्षीय हसीना ने यह बात अपने कुछ करीबी सहयोगियों के साथ साझा की है।
सेंट मार्टिन द्वीप पर बढ़ी चर्चा
शेख हसीना के इस दावे के बाद से बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित केवल तीन वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस छोटे से द्वीप समूह की चर्चा जोरों पर है। दरअसल, अमेरिका इस द्वीप पर अपना कब्जा इसलिए चाहता है ताकि वह हिंद महासागर में अपना प्रभुत्व स्थापित कर सके। वर्तमान में, हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति ने अमेरिका को चिंतित कर दिया है। इसे देखते हुए, अमेरिका ने अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति को लागू किया है, जिसमें भारत एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार है। दोनों देशों ने चीन की बढ़ती उपस्थिति का मुकाबला करने के लिए चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (क्वाड) और मालाबार नौसैनिक अभ्यास जैसे तंत्रों का विकास किया है।
द्वीप का रणनीतिक महत्व
सेंट मार्टिन द्वीप की भौगोलिक स्थिति इसे रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है। इस द्वीप से न केवल बंगाल की खाड़ी, बल्कि पूरे आस-पास के क्षेत्र पर नजर रखी जा सकती है। इसके साथ ही, यहां से समुद्र के रास्ते दुनिया के किसी भी हिस्से में आसानी से जाया जा सकता है। इस दृष्टि से, सेंट मार्टिन द्वीप का सामरिक महत्व काफी अधिक है।
नारिकेल जिंजिरा: सेंट मार्टिन का दूसरा नाम
सेंट मार्टिन द्वीप, बांग्लादेश का एकमात्र मूंगा द्वीप है, जिसे उसकी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहाँ का साफ नीला पानी और विविध समुद्री जीवन पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इसे नारिकेल जिंजिरा (नारियल द्वीप) और दारुचिनी द्वीप (दालचीनी द्वीप) के नाम से भी जाना जाता है। यह द्वीप बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित है, और कॉक्स बाजार-टैंकफ प्रायद्वीप के दक्षिण में लगभग नौ किलोमीटर दूर है। सेंट मार्टिन द्वीप की अर्थव्यवस्था मुख्यतः पर्यटन, मछली पालन, और चावल-नारियल की खेती पर आधारित है, जो वहां के लगभग 5500 निवासियों की आजीविका का स्रोत है।
बांग्लादेश और म्यांमार के बीच विवाद का कारण
सेंट मार्टिन द्वीप तब सुर्खियों में आया जब बांग्लादेश और म्यांमार इस क्षेत्र के मछली पकड़ने के अधिकारों को लेकर विवाद में उलझ गए थे। दोनों देशों ने अपनी समुद्री सीमा के परिसीमन को लेकर इस द्वीप पर संप्रभुता का दावा किया था। हालांकि, 2012 में इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर द लॉ ऑफ द सी (आईटीएलओएस) ने इस द्वीप को बांग्लादेश के क्षेत्रीय समुद्र, महाद्वीपीय शेल्फ, और विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) का हिस्सा घोषित किया था। 2018 में, बांग्लादेश सरकार ने म्यांमार के अद्यतन मानचित्र का विरोध किया था, जिसमें इस द्वीप को उसके संप्रभु क्षेत्र के रूप में दर्शाया गया था। बाद में म्यांमार ने इसे एक गलती मानते हुए सुधार किया था।
शेख हसीना और अमेरिका के बीच तनावपूर्ण संबंध
प्रधानमंत्री रहते हुए, शेख हसीना और अमेरिका के बीच संबंधों में तनाव देखा गया। अमेरिका ने बांग्लादेश में जनवरी में हुए चुनावों को निष्पक्ष नहीं माना था। शेख हसीना ने आरोप लगाया था कि उनकी सरकार को गिराने के लिए साजिशें रची जा रही हैं। उन्होंने अमेरिका पर बांग्लादेश और म्यांमार के बाहर एक नया ईसाई देश बनाने की साजिश का भी आरोप लगाया था। मई 2023 में, शेख हसीना ने दावा किया था कि यदि उन्होंने एक विशेष देश को बांग्लादेश में हवाई अड्डा बनाने की अनुमति दी होती, तो उनके खिलाफ इस तरह की साजिशें नहीं रची जातीं।