रूस-यूक्रेन युद्ध ने दोनों देशों के बीच एक अजीब और संघर्षपूर्ण रिश्ते को उजागर किया है। यह लेख इस संघर्ष के पीछे की असलियत को जानने का प्रयास करता है, जो लोगों की जिंदगी और भविष्य को प्रभावित कर रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के दो साल पूरे हो गए हैं। 24 फरवरी 2022 को इन दो देशों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था, जो अभी तक जारी है। दो साल की लड़ाई में दोनों देशों में बहुत कुछ बदल चुका है। इस युद्ध ने हजारों लोगों की जान ले ली, लाखों लोग विस्थापित हुए, परिवारों और समुदायों को तोड़ दिया और अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है। यह खूनी जंग रुकेगी, इसके भी कोई संकेत नहीं है। इस बीच, यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि रूस के हमले के बाद से हमने अब तक अपने 31 हजार सैनिकों को खोया है।
यूक्रेन पर कितना कब्जा कर पाया रूस?
अमेरिका स्थित इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर (आईएसडब्ल्यू) की रिपोर्ट है कि वर्तमान में यूक्रेन के 18 फीसदी क्षेत्र पर रूस का कब्जा है। रूसी सेना का वर्तमान में दोनेत्स्क, लुहान्स्क, जापोरिजिया, खेरसॉन और कुछ हद तक खार्किव के कुछ हिस्सों पर कब्जा है। सेना ने 2014 में क्रीमिया के यूक्रेनी प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया था।
भीषण युद्ध के शुरू होते ही पश्चिमी देशों की चिंताएं बढ़ने लगी थीं। गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध को रोकने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सुझाव को अमेरिका ने खारिज कर दिया। पुतिन ने पिछले साल मध्यस्थों के जरिए सार्वजनिक और निजी तौर पर अमेरिका को संकेत भेजा था। उन्होंने बताया था कि रूस यूक्रेन में युद्धविराम के लिए तैयार है।
पुतिन के युद्धविराम के सुझाव को अमेरिका ने किया खारिज
पुतिन यूक्रेन-रूस के संघर्ष को रोकने का प्रयास तो कर रहे थे, लेकिन वह रूस द्वारा नियंत्रित यूक्रेनी जमीन को छोड़ने के लिए भी तैयार नहीं थे। वहीं अमेरिका ने मध्यस्थों के माध्यम से रूस को बताया कि वह यूक्रेन की उपस्थिति के बिना युद्धविराम पर चर्चा नहीं करेगा। नाम न छापने की शर्त पर एक सूत्र ने बताया कि अमेरिका यूक्रेन पर दवाब नहीं बनाना चाहता है, जिस वजह से बातचीत की कोशिशें नाकाम हो गईं।