लाल सागर के रास्ते समुद्री व्यापार पर मंडराते खतरों के बीच चीन के आलोचकों के निशाने पर हैं। चीनी नौसेना, जो हूती विद्रोहियों के खिलाफ नकेल कसने में आरोपित है, अब मालवाहक जहाजों को एस्कॉर्ट करने का फैसला किया है। चीनी नौसेना ने लाल सागर के रास्ते में मालवाहक जहाजों का सुरक्षित परिवहन शुरू किया है। इसे जानते हैं कि इस रास्ते का महत्व इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि यूरोप और एशिया के बीच लगभग 40 प्रतिशत व्यापार लाल सागर और स्वेज नहर के माध्यम से होता है। दुनिया का लगभग 12 प्रतिशत समुद्री तेल व्यापार भी इसी रास्ते से होता है।
चीनी नौसेना ने मालवाहक जहाजों को एस्कॉर्ट करने का फैसला लेते समय, जब दुनिया भर में हूती हमलावरों के बीच समुद्री कारोबार करने वाली शिपिंग कंपनियां हूती के हमलों के चलते आतंकित हो रही हैं। चीनी नौसेना का यह कदम सुरक्षा परामर्शकर्ताओं के मुताबिक समुद्री तंत्र में सुरक्षा को मजबूत करने का प्रयास है। चीन ने अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन की सुरक्षा में सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई है और दावा किया है कि वह सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।
हूती हमलावरों के चलते लाल सागर और पश्चिमी अरब सागर में बढ़ते आतंक के बीच, भारत ने भी त्वरित प्रतिक्रिया दी है और व्यापारी जहाजों की सुरक्षा के लिए मदद पहुंचाई है। यह बताता है कि चीन के साथ कई देशों के जहाज लाल सागर में सुरक्षित रूप से गुजर सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद हूती विद्रोहियों की तरफ से कोई जवाबी हमला नहीं आया है। इससे यह साबित होता है कि चीन चाहता है कि वह अपने नौसैन्य को लाल सागर में सुरक्षित रखें और राष्ट्रों के बीच भरोसे का माहौल बनाए रखे।
चीन और रूस के साथ मिलकर कुछ देशों के जहाजों को सुरक्षित रूप से लाल सागर में गुजरने की संभावना होने के बावजूद, यह भी तबाहीकारी हमलों और संदिग्धता की चुनौतियों के कारण दुनिया की अधिकांश शिपिंग कंपनियां लाल सागर के रास्ते को अवॉइड कर रही हैं। यह दिखाता है कि चुनौतियों के बावजूद कुछ कंपनियां इस माध्यम से कारोबार करने में जुटी हुई हैं।
चीन द्वारा लाल सागर में नौसैनिक अड्डा होने के बावजूद, चीनी नौसेना ने हूती विद्रोहियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की है, जिसके कारण उन पर आलोचना हो रही है। इसके बावजूद, चीन ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा में सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई है और इसे सुनिश्चित करने के लिए तैयार है कि इस रास्ते का उपयोग सभी देशों के लिए सुरक्षित हो।