अजरबैजान के राजदूत के बयान और रक्षा समझौते की परिणामस्वरूप हो रहे विवाद का विश्लेषण।
भारत में मौजूद अजरबैजान के राजदूत अशरफ शिकालियेव ने कहा है कि वे कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ हैं। एक इंटरव्यू में इस मुद्दे पर बात करते हुए अशरफ ने कहा- “पिछले 30 सालों से कश्मीर पर अजरबैजान का रुख नहीं बदला है। भारत-पाक को मिलकर UNSC के प्रस्तावों के तहत इसे सुलझाना चाहिए।”
अशरफ ने आगे कहा- “भारत सरकार को आर्मेनिया को हथियार बेचने के अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए। भारत के हथियार आर्मेनिया में विद्रोही ताकतों तक पहुंच रहे हैं जो हमारे देश की शांति के लिए नुकसानदायक हैं। इसके तहत, कुछ महीने पहले आर्मेनिया ने भारत और फ्रांस से डिफेंस डील की थी, जिसके तहत भारत आर्मेनिया को एंटी-एयर सिस्टम आकाश एक्सपोर्ट करेगा।”
“भारत-आर्मेनिया के बीच 6 हजार करोड़ की डील है, जिसमें हवाई हमलों को रोकने वाले इस सिस्टम में तोप, गोला-बारूद और ड्रोन शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस डील के बाद से अजरबैजान भारत पर भड़का हुआ है।”
“अजरबैजान के राष्ट्रपति ने कहा था कि भारत और फ्रांस इस डील के जरिए आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। इन हथियारों के बाद भी आर्मेनिया कारबाख वापस नहीं ले सकता। इससे पहले भारत-आर्मेनिया में पिछले साल पिनाका रॉकेट और मिसाइल के लिए भी डील हो चुकी है।”
“अजरबैजान के राष्ट्रपति ने 2020 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मिले थे और उन्होंने कश्मीर पर पाकिस्तान का समर्थन किया था। बता दें कि अजरबैजान ने सितंबर में नागोर्नो-कारबाख इलाके पर कब्जा कर लिया था।”
“अजरबैजान-आर्मेनिया के बीच देखा जा रहा संघर्ष 20 साल से भी अधिक समय से चल रहा है। इस क्षेत्र में आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच विवाद है और यह एक महत्वपूर्ण सामरिक क्षेत्र है जो दक्षिणी कॉकेशस, ईरान, रूस और तुर्की की सीमा पर स्थित है।”
“2020 में 6 हफ्तों तक चला था अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच युद्ध, जिसमें करीब 6,500 लोगों की मौत हुई थी। युद्ध विराम के लिए रूस को आगे आना पड़ा था।”