जानें कैसे मुनि मगनसागर ने मीणा समाज के लिए अपने जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दिया और कैसे उनका उत्साहपूर्ण संघर्ष समाज को उत्तेजित कर रहा है।
राजस्थान धरोहर संरक्षण बोर्ड के अध्यक्ष और राज्य मंत्री माननीय श्री ओंकार सिंह लखावत जी के साथ मिलकर, शिवसिंह मीणा ने मीणा समाज के संबंध में मत्स्य पुराण के राजस्थानी धरोहर संरक्षण बोर्ड के अध्यक्ष को भेट की। इस मौके पर, मंत्री जी ने क्षेत्र के महापुरुष जैन मुनि मगन सागर जी के बारे में बताया और उनके योगदान की महत्वपूर्णता पर चर्चा की।
मुनि मगनसागर जी का जन्म टोंक ज़िले के समीप ग्राम उखलाना में हुआ था और वे मीना समाज के रत्न रूप में माने जाते हैं। उनके जीवन का आदान-प्रदान जैन धर्म में हुआ और उन्होंने विभिन्न शास्त्रों का गहन अध्ययन किया। वे ‘गोठवाल’ गोत्र में जन्मे थे और “मीन पुराण” के रचियता भी रहे हैं।
बचपन में उनका नाम माँगीलाल मीना था, लेकिन उन्होंने अंग्रेजों के समय मीनाओं पर लागू जयराम पेशा के माध्यम से कानून को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुनि श्री ने मीनाओं को उनके गौरवशाली इतिहास का ज्ञान दिलाया और दमन और शोषण के खिलाफ संघर्ष करने के लिए समर्थन किया। उन्होंने महापुरुषों और योद्धाओं के साथ मिलकर समाज के प्रति अपनी संबद्धता दिखाई और सोच-समझकर नए दिशानिर्देशों की ओर प्रेरित किया।
शिवसिंह मीणा, जो देवपुरा के DACYP के सदस्य भी हैं, ने इस मौके पर अपने अनुभवों से शिक्षा लेकर मीणा समाज के उन महापुरुषों की महिमा को बढ़ावा दिया और सोच-समझकर समाज में परिवर्तन लाने की प्रेरणा दी। इस प्रकार, यह भेटचीत न केवल एक ऐतिहासिक परंपरा को समृद्धि दिलाती है, बल्कि पाठकों को इस रोचक लेख को पढ़ने के लिए प्रेरित करती है।