केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पीओके का नाम लिए बिना कहा कि जो हमने गंवाया वो जल्द हासिल कर लेंगे। अमित शाह ने कहा कि अगर भारत को समझना है तो भारतीय टृष्टिकोण और हमारे देश को जोड़ने वाले तथ्यों को समझना होगा। इतिहास से हुई छेड़छाड़ के बारे में अमित शाह ने बेबाकी से अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्धाख के इतिहास के साथ यहीं हुआ। शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख के इतिहास के साथ यही हुआ। यहां किसने शासन किया, कौन रहा, किसने क्या अनुबंध किया.. इसके आधार पर तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया। अमित शाह ने कहा कि भारत के कोने-कोने में जो संस्कृति, भाषा, लिपियां, तीर्थस्थलों की कला, व्यापार और वाणिज्य बिखरा पड़ा है वो कम से कम 10 हजार साल से कश्मीर में उपस्थित है।
ग्रंथों में कश्मीर और झेलम की जानकारी
अमित शाह ने कहा कि लगभग 8000 साल पुराने ग्रंथों में कश्मीर और झेलम का जिक्र है। तब यह कोई कह सकता कि कश्मीर किसका है। कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग पहले भी था आज भी है और हमेशा रहेगा। इसे कोई कानून की धाराओं से अलग-अलग नहीं कर सकता है। गृह मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो भू-सांस्कृतिक देश है। इसकी सीमाएं संस्कृति के कारण परिभाषित की जाती है। कश्मीर से कन्याकुमारी, गांधार से ओडिशा और बंगाल से असम तक हम अपनी संस्कृति के कारण जुड़े हैं।