इस दौरान सरकार विपक्ष पर हमले के साथ अपनी उपलब्धियां गिनाएगी। वहीं, विपक्ष सरकार की खामियां गिना कर उसे कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करेगी।
दिल्ली: मोदी सरकार ने मंगलवार, जिसका अर्थ आज है, अपने दूसरे कार्यकाल में पहले अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया। चंद महीनों बाद लोकसभा चुनाव की ओर बढ़ते हुए, संख्याबल की दृष्टि से सरकार के लिए कोई खतरा नहीं था, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से चर्चा को चुनावी अंदाज में बदल दिया गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस समय में संसद के सदस्य बनकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर मंगलवार को संसद में आयोजित होने वाली मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस द्वारा प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में।
कांग्रेस ने इस बार कहा कि वह चाहती है कि इस अविश्वास प्रस्ताव की बहस के दौरान उनके नेता राहुल गांधी को मुख्य वक्ता की भूमिका दी जाए। इसके परिणामस्वरूप, आपकी लेखनी से स्वितरित एक उम्दा बहस शुरू होने की संभावना है।
इस दौरान, सरकार ने विपक्ष पर हमले के साथ अपनी उपलब्धियों को भी उजागर किया। विपक्ष उनकी दोषों की गिनती करके सरकार को कठिनाइयों में डालने की कोशिश करेगा। कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, प्रस्ताव पेश करने वाले गौरव गोगोई से मांग की गई है कि उन्हें राहुल गांधी को चर्चा की शुरुआत करने की अनुमति दी जाए। आज दोपहर 12 बजे से इस अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा आरंभ होगी, और तीन दिनों तक, 18 घंटे तक चर्चा जारी रहेगी। इसके बाद, प्रधानमंत्री मोदी 10 अगस्त को अविश्वास प्रस्ताव का उत्तर देंगे। निशिकांत दुबे भाजपा की ओर से पहले वक्ता की भूमिका निभाएंगे।
सरकार की ओर से, कम से कम दस सांसद इस चर्चा में भाग लेंगे, और उन्हें क्षेत्र विशेष की उपलब्धियों की गणना करने का कार्य सौंपा गया है। अर्थात्, प्रत्येक वक्ता अलग-अलग क्षेत्रों में सरकार की उपलब्धियों की बातें करेंगे।
विपक्ष के नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों में मणिपुर हिंसा के बहाने महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा, केंद्रीय जांच एजेंसियों के राजनीतिक इस्तेमाल, विपक्षशासित राज्यों में राज्यपालों की राज्य सरकारों के खिलाफ नकारात्मक रवैया, और देश में सांप्रदायिक सद्भाव के कथित तौर पर लगातार खराब होने के मुद्दों पर सरकार को घेरा जाएगा। इन मुद्दों पर राहुल गांधी के भाषण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
ध्यान देने योग्य है कि 2019 में राहुल गांधी द्वारा उनके मोदी सरनेम के एक बयान के कारण उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी। हालांकि, उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा सजा सुस्पेंड कर देने के बाद, उनकी सदस्यता को पुनः स्थापित कर दिया गया है। अब उन्हें सदन में फिर से अपने पार्टी का पक्ष रखने का अवसर मिलेगा।