पाकिस्तान में नयी संसद का पहला सत्र शुरू होने के बाद, राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी के निर्णय ने बनाई चर्चा का केंद्र। लेख में यहाँ तक की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसे गूगल की चर्चा सूची में उच्चतम स्थान पर लेकर आए गए हैं।
पाकिस्तान की नई संसद ने गुरुवार को अपना पहला सत्र आरंभ किया है। राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी ने कार्यवाहक सरकार के साथ चल रहे मतभेदों के बाद आखिरकार विधानसभा सत्र बुलाया है। इससे पहले, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के समर्थित उम्मीदवारों को आरक्षित सीटें आवंटित करने पर विवाद उठ रहा था। पिछले संसद के निवर्तमान अध्यक्ष राजा परवेज अशरफ की अध्यक्षता में उद्घाटन सत्र एक घंटे से अधिक की देरी के बाद शुरू हुआ।
एक आधिकारिक बयान में डॉ. आरिफ अल्वी ने कहा, ‘कुछ आपत्तियों के बावजूद, मैंने इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 54(1) के द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 29 फरवरी को नेशनल असेंबली बुलाई है।’
इसे जानकर हैरत है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने मंगलवार को अल्वी द्वारा उठाई गई आपत्तियों को सीरे से खारिज कर दिया था, साथ ही कहा गया कि नेशनल असेंबली का सत्र चुनाव के 21 दिनों के भीतर होना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 91 के तहत, नेशनल असेंबली के पहले सत्र की आवश्यक तिथि 29 फरवरी है।
डॉ. अल्वी ने अनुच्छेद 91 (2) के तहत समयसीमा के जनादेश और निहितार्थों का ध्यान रखते हुए और कुछ आरक्षणों के अधीन, 21वें दिन से पहले आरक्षित सीटों के मुद्दे के समाधान की उम्मीद करते हुए अपनी मंजूरी दी।
इस बगावत से मिलती-जुलती खबरों में, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने बताया कि राष्ट्रपति अल्वी के खिलाफ कई कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें से पहला होगा 2022 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने पर नेशनल असेंबली को भंग करने का। दूसरा मामला होगा नेशनल असेंबली सत्र न बुलाकर संविधान की अवज्ञा करने का।