NDA Meeting: भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की आज नई दिल्ली के अशोका होटल में एक बैठक आयोजित हुई। इसमें कुल 38 एनडीए घटक दलों को आमंत्रित किया गया था। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ठीक दो दिन पहले आयोजित इस बैठक को एनडीए की ताकत का प्रदर्शन माना जा रहा है।
नई दिल्ली: देश में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सभी दलों ने तैयारियां शुरू कर दीं थीं। एक ओर जहां विपक्ष के 26 दलों की दो दिवसीय बैठक बेंगलुरु में हुई थी, वहीं इसके जवाब में एनडीए के 38 घटक दलों का जमावड़ा दिल्ली में आयोजित किया गया था।
एनडीए की इस बैठक की बात करें तो इसका नेतृत्व केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने किया था। इस दौरान एनडीए के तमाम सहयोगियों के साथ रात्रिभोज का भी आयोजन किया गया था। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए थे। इस बीच जानना जरूरी है कि आखिर एनडीए की बैठक में किन दलों ने भाग लिया था? बैठक का एजेंडा क्या था? गठबंधन में कौन से दल नहीं आए? किन दलों के साथ पेंच फंसा?
एनडीए की बैठक में किन दलों ने भाग लिया?
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में छह नए सहित कम से कम 38 एनडीए घटक दलों को आमंत्रित किया गया था। अपने मौजूदा गठबंधन सहयोगियों के साथ-साथ भाजपा ने कई नए और कुछ पूर्व सहयोगियों को भी एक साथ लाने के लिए निमंत्रण दिया था।
बैठक की अध्यक्षता भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने की थी और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत इन पार्टियों के नेता शामिल हुए थे। एनडीए में नई एंट्रियों में यूपी से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी), महाराष्ट्र से अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और बिहार से चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) सहित अन्य शामिल थीं।
एनडीए की बैठक का एजेंडा क्या था?
इससे पहले सोमवार को नड्डा ने कहा था कि एनडीए का गठबंधन भारत को मजबूत करने के लिए होता है, जबकि यूपीए नेतृत्वहीन और नीतिहीन होती है। यह फोटो खिंचवाने के अवसर के लिए अच्छा होता है। मोदी सरकार की योजनाओं और नीतियों के सकारात्मक प्रभाव के कारण एनडीए के घटक दल उत्साहित थे।
जानकारी के मुताबिक, इस बैठक के मूल में एनडीए का विस्तार था। इसके साथ ही भाजपा अपने मौजूदा सहयोगियों के साथ रिश्तों को और मजबूत करने का प्रयास करना चाहती थी और पूर्व सहयोगियों के साथ रिश्तों को सुधारना चाहती थी। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ठीक दो दिन पहले आयोजित होने वाली एनडीए बैठक में एनडीए की अपनी ताकत का प्रदर्शन हुआ।
यह कदम साथ छोड़ चुके सहयोगियों को वापस लाने के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा जारी प्रयासों के बीच आया है। अमित शाह सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं की अकाली दल और टीडीपी जैसे पूर्व गठबंधन सहयोगियों के नेताओं के साथ हालिया बातचीत को इस नई रणनीति के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है।
एनडीए की बैठक से कौन से दल दूर हुए और क्यों?
भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी अकाली के साथ ही साथ टीडीपी भी एनडीए बैठक में नहीं शामिल होने वाले प्रमुख दलों में शामिल हैं। अकाली-टीडीपी दलों को फिर से एनडीए में शामिल करने पर बातचीत हुई थी, लेकिन अलग हो चुके सहयोगियों के बीच मतभेद दूर नहीं हो सके। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व चुनाव के लिए अकाली दल की जगह अकाली दल ढींडसा को ज्यादा अच्छा विकल्प मान रही है।
पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि अकाली दल की सिखों में पुरानी पैठ खत्म हो चुकी है। दूसरी ओर पार्टी नहीं चाहती कि टीडीपी से गठबंधन के कारण आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी विपक्षी खेमे में चला जाए। वाईएसआरसीपी ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में सभी अहम विधेयकों पर सरकार का साथ दिया है।
इन दलों के साथ नहीं बनी बात
भाजपा ने राजस्थान में सहयोगी की भूमिका निभाने वाले आरएलएसपी हनुमान बेनीवाल से भी दूरी बरतने का संदेश दिया है। पीएम मोदी बेनीवाल के प्रभाव वाले नागौर में 28 जुलाई को कई कार्यक्रम कर रहे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी की निगाहें पश्चिम उत्तर प्रदेश में प्रभाव रखने वाली पार्टी आरएलडी पर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भाजपा नेतृत्व ने पश्चिमी यूपी में सपा के सहयोगी जयंत चौधरी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक दल के साथ भी संपर्क किया है। जयंत 23 जून को विपक्ष की बैठक में शामिल नहीं हुए थे, लेकिन वे बेंगलुरु जुटान में भाग लेने पहुंचे हैं।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसी प्रकार पार्टी को कर्नाटक में जेडीएस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन का कोई लाभ नहीं दिख रहा है। वह इसलिए कि कभी इस पार्टी का आधार माने जाने वाले वोक्कालिगा बिरादरी ने उससे दूरी बना ली है। हालांकि, पूर्व सीएम और भाजपा नेता बसवराज बोम्मई ने संकेत दिया था कि भाजपा और जेडीएस आगामी लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन बनाने की संभावना तलाश रहे हैं।
चाचा-भतीजे में हाजीपुर सीट को लेकर पेच
लोजपा रामविलास के मुखिया चिराग पासवान ने राजग की बैठक में शामिल होने पर सहमति दी है, मगर पार्टी के दोनों गटों के बीच दिवंगत रामविलास पासवान की परंपरागत सीट हाजीपुर के बीच तनातनी की स्थिति है। इस सीट से फिलहाल केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस सांसद हैं। बीते चुनाव में जमुई से लोकसभा पहुंचे चिराग इस सीट पर दावा जता रहे हैं। चिराग चाहते हैं कि पहले हाजीपुर को लेकर स्थिति साफ हो जाए।
एनडीए की बैठक में शामिल होने वाली पार्टियां
| भाजपा |
| अन्नाद्रमुक |
| शिवसेना (शिंदे गुट) |
| एनपीपी (नेशनल पीपुल्स पार्टी, मेघालय) |
| एनडीपीपी (नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, नगालैंड) |
| एसकेएम (सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा) |
| जजपा (जननायक जनता पार्टी) |
| एजेएसयू (ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन) |
| आरपीआई (रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया) |
| एमएनएफ (मिजो नेशनल फ्रंट) |
| तमिल मनीला कांग्रेस |
| तमिलनाडु से इंडिया मक्कल कालवी मुनेत्र कड़गम (IMKMK) |
| आईपीएफटी (इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा) |
| बीपीपी (बोडो पीपुल्स पार्टी) |
| पीएमके (पट्टली मक्कल काची) |
| एमजीपी (महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी) |
| अपना दल एस (अपना दल सोनेलाल) |
| एजीपी (असम गण परिषद) |
| निषाद पार्टी |
| यूपीपीएल (यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल, असम) |
| अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस, पुडुचेरी (AIRNC) |
| शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त, ढींडसा) |
| जन सेना (पवन कल्याण) |
| एनसीपी (अजित पवार गुट) |
| लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) |
| हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) |
| आरएलएसपी (राष्ट्रीय लोक समता पार्टी) |
| वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी, मुकेश सहनी) |
| एसबीएसपी (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, ओम प्रकाश राजभर) |
| भारत धर्म जन सेना (बीडीजेएस, केरल) |
| केरल कांग्रेस (थॉमस) |
| गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट |
| जनाथिपथ्य राष्ट्रीय सभा |
| एनपीएफ (नगा पीपुल्स फ्रंट) |
| यूडीपी (यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी) |
| एचएसडीपी (हिल स्टेट डेमोक्रेटिक पार्टी) |
| जन सुराज पार्टी (महाराष्ट्र) |
| प्रहार जनशक्ति पार्टी (महाराष्ट्र) |