कांग्रेस के टिकट पर 2017 में मेयर चुनाव और 2019 में सपा के टिकट से लोकसभा चुनाव में ताल ठोकने वाली शालिनी यादव ने सोमवार को भाजपा का दामन थाम लिया। शालिनी दिग्गज कांग्रेसी नेता व केंद्रीय मंत्री रहे श्याम लाल यादव की पुत्र वधु हैं। सपा सरकार में मंत्री रहे साहब सिंह सैनी बीजेपी में शामिल हो गए। लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में उन्हें विधिवत भाजपा की सदस्यता दिलाई गई।
मिशन 2024 की तैयारियों में जुटी समाजवादी पार्टी को वाराणसी में बड़ा झटका लगा था। 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ने वाली शालिनी यादव ने सपा छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। उन्होंने सोमवार को लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी।
दिग्गज कांग्रेसी नेता व केंद्रीय मंत्री रहे श्याम लाल यादव की पुत्र वधु शालिनी यादव 2019 में कांग्रेस से सपा में शामिल हुई थीं। शालिनी 2017 में वाराणसी से मेयर का चुनाव लड़ चुकी थीं। निकाय चुनाव में महापौर प्रत्याशी के तौर पर उन्हें 113345 वोट मिले थे। वह दूसरे नंबर पर रही थीं।
लोकसभा चुनाव 2019 में सपा गठबंधन ने शालिनी यादव को वाराणसी सीट से पीएम मोदी के खिलाफ उतारा था। वो करीब दो लाख मत पाकर दूसरे स्थान पर रही थीं। शालिनी के अलावा सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष पीयूष यादव ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी।
शालिनी यादव पेशे से फैशन डिजाइनर थीं। उन्हें राजनीति अपने ससुर कांग्रेस नेता व केंद्रीय मंत्री रहे श्याम लाल यादव से मिली थी। गाजीपुर की रहने वाली शालिनी यादव की शादी श्यामलाल यादव के छोटे सुपुत्र अरुण से हुई थी। बीएचयू से बीए ऑनर्स करने बाद शालिनी ने फैशन डिजाइनिंग में डिप्लोमा किया था।
कसभा चुनाव से पहले भाजपा ने पश्चिम से पूर्वांचल तक विपक्ष को बड़ा झटका दिया था। उसने बसपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य राजपाल सैनी, सपा सरकार में मंत्री रहे साहब सिंह सैनी व जगदीश सोनकर, पूर्व विधायक सुषमा पटेल और पूर्व सांसद अंशुल वर्मा सहित सपा, बसपा, रालोद व कांग्रेस के नेताओं को अपने साथ कर लिया था।
भाजपा के प्रदेश मुख्यालय पर प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने सोमवार को इन सभी को पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई थी। सदस्यता ग्रहण करने वालों में अधिकांश पिछड़े वर्ग के नेता थे, जो अपने-अपने क्षेत्र में अपने समाज में प्रभुत्व रखते थे। भूपेंद्र चौधरी ने भाजपा में शामिल हुए नेताओं का स्वागत करते हुए कहा था कि इससे पार्टी को मजबूती मिलेगी। लोकसभा चुनाव में सभी 80 सीटें जीतने के लिए इन नेताओं को अपने-अपने क्षेत्रों में और बूथों पर पार्टी को मजबूत करना होगा।
मिशन 80 पर फोकस
बीजेपी लगातार इस बात की कोशिश में थी कि वह यूपी में बड़ी जीत दर्ज करे। बीजेपी के नेता बार-बार यह बात दोहरा रहे थे कि पार्टी का फोकस सभी 80 सीटों को जीतने पर है। पिछले कुछ दिनों से लगातार पार्टी छोटे दलों गठबंधन के साथ दूसरे दलों के प्रभावशाली नेताओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में लगी हुई थी।
पश्चिम से पूर्वांचल तक विपक्ष को झटका
भाजपा ने पश्चिम से लेकर पूर्वांचल तक विपक्षी दलों को झटका देने की तैयारी की थी। पश्चिमी यूपी में सैनी समाज का बड़ा वोट बैंक है। इस समाज के वोट पर साहब सिंह सैनी और राजपाल सिंह सैनी का खासा प्रभाव है। राजपाल ने 2022 में खतौली से रालोद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। पूर्वांचल में जौनपुर के मुंगराबादशाहपुर सीट से सपा विधायक रहीं सुषमा पटेल कुर्मी समाज से थीं, पार्टी पूर्वांचल में कुर्मी समाज में अपना जनाधार बढ़ाना चाहती थीं। पूर्व विधायक जगदीश सोनकर भी सदस्यता ग्रहण कर चुके थे। सोनकर चार बार विधायक रहे थे। पूर्वांचल के सोनकर समाज में उनकी मजबूत पकड़ थी।
बसपा के नेता भी हुए शामिल
आगरा में दक्षिण विधानसभा से बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले रवि भारद्वाज और बसपा से खेरागढ़ से चुनाव लड़ने वाले गंगाधर कुशवाहा ने भी लखनऊ में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। इस खबर के मिलते ही बसपा के खेमे में हलचल मच गई थी। इन नेताओं के अलावा आने वाले दिनों में बसपा के कुछ और नेताओं के बीजेपी में जाने के संकट थे। पश्चिम यूपी के कुछ बड़े नेता चुनाव के पहले बीजेपी का हाथ थाम सकते थे। सूत्रों की माने तो अंदरखाने इसको लेकर एक स्तर की बातचीत भी हो गई थी।