भाजपा ने उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा कदम उठाते हुए पांच लोकसभा सीटों में तीन उम्मीदवारों को पुनः चुना है। इसमें से एक बार फिर से माला राज्य लक्ष्मी शाह, अजय टम्टा, और अजय भट्ट शामिल हैं। गढ़वाल और हरिद्वार सीटों पर भी उत्तराधिकारी की घोषणा की जा सकती है। यह चुनौतीपूर्ण चुनाव बना रहेगा।
भाजपा ने उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में से तीन पर उम्मीदवारों को दोहराया है। पार्टी ने सुनिश्चित किया है कि उनके उम्मीदवार पूर्व कार्यकर्ता हों और वे अपने क्षेत्र में लोकप्रिय हों। चुनाव समिति ने टिहरी लोकसभा सीट से सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ से अजय टम्टा और नैनीताल-ऊधमसिंह नगर से अजय भट्ट को प्रत्याशी घोषित किया है।
गढ़वाल और हरिद्वार लोकसभा सीट पर अभी नामांकन के मामले में कुछ संघर्ष हैं। इन सीटों पर भी पार्टी ने अपने प्रत्याशी का चयन सोची समझी तरीके से करने का प्रयास किया है। केंद्रीय नेतृत्व ने टिहरी लोकसभा सीट पर माला राज्य लक्ष्मी शाह को फिर से चुनौती देने का निर्णय लिया है, जिसका उन्होंने पूरा भरोसा दिखाया है।
इस सीट पर कई दूसरे उम्मीदवारों का भी नाम चर्चा में था, लेकिन अंत में पार्टी ने माला राज्य लक्ष्मी को तीसरी बार से चुनाव में भाग लेने का मौका दिया है। अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर भी अजय टम्टा को पुनः चुनौती देने का निर्णय किया गया है। इस सीट पर होने वाले चर्चाओं के बावजूद, पार्टी ने उन पर विश्वास जताया है।
भट्ट को पार्टी ने लगातार दूसरी बार मौका देने का निर्णय लिया है, जो इस सीट पर पहले भी जीत चुके हैं। इसके साथ ही, गढ़वाल और हरिद्वार सीटों के प्रत्याशियों की पहली सूची में नाम शामिल नहीं होने की चर्चाएं हैं, लेकिन प्रत्याशियों के चयन के मामले में आगे की सूची में नामांकन के आसार हैं।
हरिद्वार-गढ़वाल में बदलेंगे टिकट?
लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों की पहली सूची में हरिद्वार और गढ़वाल लोससभा सीट के प्रत्याशियों के नाम शामिल नहीं है। माना जा रहा कि इन दोनों सीटों पर प्रत्याशियों के नामों को लेकर अभी कशमकश है। गढ़वाल से पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत सांसद हैं, जबकि हरिद्वार का प्रतिनिधित्व पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक कर रहे हैं। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व अपनी दूसरी सूची में इन दोनों सीटों के प्रत्याशियों के नाम घोषित कर सकता है। पहली सूची में दोनों सीटों के प्रत्याशियों के नाम शामिल न होने को लेकर सियासी हलकों में चर्चाएं हैं कि केंद्रीय नेतृत्व यहां नया प्रयोग करने के मूड में है।