अरविंद केजरीवाल ने सत्ता का मोह छोड़कर फिर दिखाया अपनी सादगी का असली चेहरा। मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के बाद, उन्होंने आलीशान आवास को अलविदा कहकर जनता के बीच रहने का फैसला किया। आखिर क्या है इस कदम के पीछे की सोच? जानिए, क्यों ये कदम राजनीति में मिसाल बन सकता है।
अरविंद केजरीवाल का नया पता: सादगी और ईमानदारी की मिसाल
आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को अपने पुराने आवास को अलविदा कह दिया। वह अब लुटियंस ज़ोन में 5, फिरोजशाह रोड स्थित पार्टी सदस्य अशोक मित्तल के सरकारी आवास में अपने परिवार समेत रहने जा रहे हैं। जब केजरीवाल परिवार ने पुराना घर छोड़ा, तो वहाँ भावनाओं का सैलाब देखने को मिला। कर्मचारियों ने उन्हें भावभीनी विदाई दी, और केजरीवाल ने अपने सादगीपूर्ण अंदाज़ में उन्हें गले लगाया। उनकी पत्नी, सुनीता केजरीवाल, ने औपचारिक रूप से आवास की चाबियाँ एक अधिकारी को सौंप दीं।
केजरीवाल की सादगी: एक उदाहरण
आप के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल तब तक मुख्यमंत्री आवास में नहीं रहेंगे जब तक जनता उन्हें फिर से इस पद के लिए नहीं चुनती। यह कदम एक बार फिर केजरीवाल की ईमानदारी और जनता के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है। इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित किया है कि वे न केवल एक नेता बल्कि एक सच्चे जनसेवक हैं, जो सत्ता का मोह छोड़कर जनता की सेवा को प्राथमिकता देते हैं।
अब अरविंद केजरीवाल का नया पता 5, फिरोजशाह रोड होगा, जहाँ वे पार्टी के राज्यसभा सांसद अशोक मित्तल के आवास में रहेंगे। यह दूसरी बार है जब वे नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में रहेंगे। इससे पहले भी, 2014 में, उन्हें तिलक लेन में एक सरकारी आवास मिला था, लेकिन बाद में वे सिविल लाइन में शिफ्ट हो गए थे।
जनता के बीच, जनता के लिए
दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने गुरुवार को बताया था कि केजरीवाल शुक्रवार को आधिकारिक मुख्यमंत्री आवास खाली करेंगे। कई समर्थकों, सांसदों, विधायकों, और मंत्रियों ने केजरीवाल को अपने घर पर रहने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में ही रहना चुना, जहाँ से उन्हें जनता ने चुना था। केजरीवाल का यह निर्णय दिखाता है कि वे हमेशा जनता के साथ और जनता के बीच रहना पसंद करते हैं।
जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी, तब उनके ऊपर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का कोई दबाव नहीं था, लेकिन उन्होंने स्वेच्छा से यह फैसला लिया, जो उनकी राजनीतिक निष्ठा और नैतिकता को बखूबी दर्शाता है।
मेरी राय:
अरविंद केजरीवाल का यह कदम केवल एक नेता के आवास परिवर्तन का मामला नहीं है, बल्कि यह एक संदेश है कि राजनीति में सादगी, ईमानदारी और जनता के प्रति जवाबदेही का क्या महत्त्व है। आज की राजनीति में जहां नेता अकसर सत्ता और सुख-सुविधाओं में लिप्त रहते हैं, वहीं केजरीवाल का यह निर्णय उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि जनता की भलाई उनके लिए सबसे पहले है।