केदारनाथ उपचुनाव की जंग: भाजपा का केदारनाथ पर किला मजबूत, कांग्रेस भी मैदान में

केदारनाथ उपचुनाव से पहले भाजपा ने अपनी रणनीति तेज कर दी है। आपदा राहत के जरिए जनता का दिल जीतने के साथ, पांच प्रमुख मंत्रियों को विभिन्न क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है। कांग्रेस भी बदरीनाथ उपचुनाव की जीत से उत्साहित होकर पूरी ताकत के साथ मुकाबले में है।

केदारनाथ उपचुनाव से पहले, प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा इस सीट को अपनी पकड़ में बनाए रखने के लिए पूरी तरह सक्रिय हो गई है। हाल ही में आई मानसूनी आपदा से प्रभावित व्यापारियों के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नौ करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी की है, जिससे भाजपा ने राहत पहुंचाने का संदेश दिया है।

संगठन के स्तर पर भी तैयारियां तेज़ हैं। पार्टी के पांच प्रमुख मंत्रियों को केदारनाथ विधानसभा के विभिन्न क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि अब सभी मंत्री अपने क्षेत्रों में सक्रिय होकर जनसंवाद और बैठकें शुरू करेंगे। साथ ही, वे प्रदेश में चल रहे सदस्यता अभियान के तहत लोगों को भाजपा से जोड़ने का काम करेंगे।

सदस्यता बढ़ाने का टास्क
महेंद्र भट्ट ने पार्टी विधायकों को निर्देश दिया है कि वे लोकसभा चुनावों में मिले कुल वोटों को सदस्यता में तब्दील करें। शैलारानी रावत के निधन से खाली हुई केदारनाथ सीट पर अब इस टास्क को पूरा करने की ज़िम्मेदारी मंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियों को दी गई है।

भाजपा को लोकसभा चुनाव में केदारनाथ सीट पर 30,536 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 20,164 वोट मिले थे। इस उपचुनाव में भी दोनों पार्टियों के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। निर्दलीय उम्मीदवार कुलदीप रावत, जो अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं, ने 13,423 वोट प्राप्त किए थे।

कांग्रेस की भी तैयारी
बदरीनाथ उपचुनाव में जीत के बाद कांग्रेस भी उत्साहित है और केदारनाथ उपचुनाव में पूरी ताकत झोंक रही है। कांग्रेस फिर से यात्रा शुरू कर, अपने अभियान को तेज़ करेगी ताकि जनता में माहौल बना सके।

भाजपा का फोकस
भाजपा भी इस चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी का तर्क है कि बदरीनाथ सीट उसके पास नहीं थी, लेकिन केदारनाथ पर उसका पहले से कब्जा है। सरकार के पांच मंत्रियों – सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, गणेश जोशी, सौरभ बहुगुणा और रेखा आर्य को स्थानीय समस्याओं का समाधान करने और पार्टी के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए मैदान में उतारा गया है। आचार संहिता लागू होने से पहले ही ये मंत्री पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश करेंगे।

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