जम्मू-कश्मीर चुनाव 2024: तीसरे चरण में टूटा रिकॉर्ड, किसकी बनेगी सरकार?

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में 65.58% मतदान दर्ज किया गया, जिसने 2024 के लोकसभा चुनावों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस चरण में 40 सीटों पर 415 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है। भाजपा, कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन और पीडीपी के बीच चल रहे इस कड़े मुकाबले में जनता का रुख किस ओर है, यह देखना दिलचस्प होगा।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का तीसरा चरण: भारी मतदान के साथ कई दिलचस्प मुकाबले

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण का मतदान मंगलवार को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। चुनाव आयोग के अनुसार, इस चरण में मतदान ने 2024 के लोकसभा चुनावों के आंकड़े को पीछे छोड़ते हुए रिकॉर्ड तोड़ दिया। शाम 7 बजे तक 65.58% मतदान दर्ज किया गया, हालांकि यह आंकड़ा अंतिम नहीं है और मतगणना के बाद इसमें बदलाव की संभावना है। आयोग ने यह भी बताया कि अभी तक किसी भी सीट पर पुनर्मतदान की आवश्यकता नहीं पड़ी है।

तीसरे चरण में हुए मतदान की प्रमुख बातें:

इस चरण में सात जिलों की 40 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हुआ, जिसमें 415 उम्मीदवारों की किस्मत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) में बंद हो गई। जम्मू जिले में सबसे अधिक 11 सीटों पर चुनाव हुए, जबकि बारामुला में 7, कुपवाड़ा और कठुआ में 6-6, उधमपुर में 4 और बांदीपोरा व सांबा में 3-3 सीटों पर वोट डाले गए।

प्रमुख जिलों और सीटों पर मतदान प्रतिशत:
तालिका के अनुसार, जम्मू और कश्मीर दोनों क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत में विविधता देखने को मिली। जम्मू जिले की अखनूर सीट पर सबसे अधिक 76.28% मतदान हुआ, जबकि बारामुला की सोपोर सीट पर सबसे कम 41.44% मतदाता ही मतदान करने पहुंचे। इसके अलावा गुरेज (बांदीपोरा) जैसी जनजातीय सीट पर भी 75.89% मतदान ने लोकतंत्र में जनता की गहरी भागीदारी को दर्शाया।

जिला सीट मतदान % (आंकड़े अंतिम नहीं)
बांदीपोरा बांदीपोरा 58.6
बांदीपोरा गुरेज (एसटी) 75.89
जम्मू अखनूर (एससी) 76.28
जम्मू छंब 77.35
सांबा रामगढ़ (एससी) 73.1
उधमपुर चिनैनी 73.79
कठुआ बनी 71.24

पहले दो चरणों का हाल:

पहले चरण में, 18 सितंबर को 61.38% मतदान दर्ज किया गया था, जबकि दूसरे चरण में 25 सितंबर को 57.31% वोटिंग हुई थी। यह दर्शाता है कि तीसरे चरण में मतदान प्रतिशत में अच्छी वृद्धि हुई है, जो लोगों की चुनावों के प्रति बढ़ती दिलचस्पी को दर्शाता है।

कठिन मुकाबला:

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा, कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन और पीडीपी के बीच हो रहा है। भाजपा ने जहां जम्मू क्षेत्र में सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, वहीं कश्मीर क्षेत्र में कुछ ही सीटों पर भाजपा ने प्रत्याशी खड़े किए हैं। दूसरी ओर, महबूबा मुफ्ती की पीडीपी ने दोनों क्षेत्रों में अपनी दावेदारी पेश की है। साथ ही, छोटे दलों ने भी मुकाबले को रोमांचक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

मेरी राय:

इस बार के विधानसभा चुनाव जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक भविष्य को नया आकार दे सकते हैं। तीसरे चरण में बढ़ते मतदान प्रतिशत से यह स्पष्ट है कि जनता लोकतंत्र में अपने मताधिकार का भरपूर उपयोग कर रही है, जो राज्य की स्थिरता और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। मुख्य दलों के अलावा क्षेत्रीय और छोटे दलों की भागीदारी ने इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कौन से मुद्दे जनता के लिए सबसे प्रभावी साबित होते हैं, क्योंकि विकास और स्थायित्व से जुड़े मुद्दे इस बार के चुनावी एजेंडे में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।

समाप्ति:

जम्मू-कश्मीर की चुनावी प्रक्रिया न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक समावेश के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। जिस तरह से इस बार का चुनावी माहौल बन रहा है, वह न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के लिए एक अहम संकेतक हो सकता है।

अब सवाल यह है: क्या जनता विकास के नाम पर वोट देगी, या फिर क्षेत्रीय मुद्दे और पहचान की राजनीति अधिक प्रभावशाली साबित होगी?

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