मौसम विभाग ने बीते दिनों दिल्ली-एनसीआर पर बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है। वहीं सोमवार सुबह हुई बारिश से मौसम सुहावना हो गया है और लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिली है। वहीं मौसम विभाग की माने तो आने वाले 3-4 दिन मौसम ऐसा ही रहने वाला है।
दिल्ली: दिल्ली एनसीआर में पिछले दो दिनों से जबरदस्त गर्मी पड़ रही थी। कई दिनों तक हुई बारिश के बाद भी गर्मी और उमस की वजह से लोग परेशान हो चुके थे। लेकिन आज दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में हुई झमाझम बारिश ने मौसम सुहाना बना दिया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में झमाझम बारिश हुई है। इसके साथ ही नोएडा समेत कई अन्य जगहों पर बूंदाबांदी हुई है।
वहीं बारिश के साथ-साथ दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर जा चुका है, जिससे निचले इलाकों में फिर से बाढ़ आने का खतरा मंडरा रहा है। जानकारी के अनुसार, रविवार शाम 4 बजे यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया, जो 206.31 मीटर दर्ज किया गया। दिल्ली सरकार अब निचले इलाकों को खाली करने की घोषणा कर रही है। जानकारी के अनुसार, रविवार शाम 6 बजे यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया, जो 206.35 मीटर दर्ज किया गया। दिल्ली सरकार अब निचले इलाकों को खाली करने की घोषणा कर रही है।
वहीं इससे पहले 16 जुलाई को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बाढ़ से प्रभावित परिवारों की मदद करने का ऐलान किया था। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि यमुना किनारे रहने वाले कई बेहद गरीब परिवारों का काफ़ी नुक़सान हुआ है। कुछ परिवारों का तो पूरे घर का सामान बह गया। सीएम ने ऐलान करते हुए कहा कि सरकार आर्थिक मदद के तौर पर हर बाढ़ पीड़ित परिवार को दस हज़ार रुपये प्रति परिवार देंगे। इसके साथ ही जिनके काग़ज़ जैसे आधार कार्ड आदि बह गये, उनके लिए स्पेशल कैंप लगाए जायेंगे। वहीं इस बाढ़ में जिन बच्चों की ड्रेस और किताबें बह गयीं, उन्हें स्कूलों की तरफ़ से ये दिलाए जाएंगे।
सोमवार के दोपहर तक दिल्ली पहुंचेगा हथिनीकुंड से छोड़ा गया पानी
जल आयोग के मुताबिक, “यमुना के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में रात भर की बारिश के बाद सात घंटे तक हथिनीकुंड बैराज से प्रवाह दर दो लाख क्यूसेक से ऊपर रहा, रविवार दोपहर दो बजे अधिकतम प्रवाह दर 2,51,987 क्यूसेक दर्ज किया गया। आयोग ने बताया कि पानी की यह मात्रा 36 घंटों के भीतर दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है, जिससे राजधानी में मध्यम स्तर की बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो सकता है। ऊपरी जलग्रहण राज्यों, मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश के बीच पिछले चार से पांच दिनों में जल स्तर में मामूली उतार-चढ़ाव हुआ है।
सरकार को पहले से इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए तैयारी करनी चाहिए थी क्योंकि यह पहली बार नहीं है जब यमुना का जलस्तर अपनी सीमा रेखा से ऊपर गया हो इसमें मीडिया को भी चाहिए कि वह समय-समय पर सरकार की नजर ऐसी खबरों की ओर आकर्षित करें जिससे समय रहते ऐसी आपदाओं से बचने के लिए उचित कदम उठाया जा सके ।