चुनाव आयोग ने शशि थरूर को चंद्रशेखर के खिलाफ बयान देने पर चेतावनी दी है। जानें क्यों और कैसे हुई यह विवादित स्थिति और इसके महत्वपूर्ण पहलू।
चुनाव आयोग ने शशि थरूर को प्रतिद्वंद्वी राजीव चंद्रशेखर के खिलाफ दिए गए एक इंटरव्यू में बयान देने के मामले में चेतावनी दी है। आयोग ने कहा है कि इस इंटरव्यू में थरूर ने भाजपा नेता के खिलाफ निराधार बयान दिया है, जो कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। थरूर को आगे बयान के प्रति की गई आरोपों के खिलाफ चेतावनी दी गई है।
चुनाव आयोग की तरफ से यह चेतावनी भाजपा के चुनाव कानूनी संयोजक और एनडीए की चुनाव समिति के संयोजक की शिकायतों पर आई। उनकी शिकायत थी कि थरूर ने एक इंटरव्यू में चंद्रशेखर के खिलाफ निराधार आरोप लगाए। थरूर ने इसका खंडन किया और कहा कि उन्होंने पूरे इंटरव्यू में कहीं भी चंद्रशेखर या उनकी पार्टी के नाम का जिक्र नहीं किया। उन्होंने साफ किया कि उनका बयान केवल एक सामान्य टिप्पणी था।
उनके दावों के बावजूद, निर्वाचन आयोग ने कहा कि उनका तर्क सही नहीं है। आयोग ने कहा कि साक्षात्कार में लगाए गए आरोप राजीव चंद्रशेखर पर केंद्रित थे और इससे स्पष्ट है कि आरोप राजीव चंद्रशेखर पर ही लगाए गए थे। थरूर ने चंद्रशेखर के खिलाफ दिए गए बयानों को समर्थन के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया। आयोग ने उनके इस बयान को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना।
हालांकि, चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट किया कि थरूर ने अपने बयानों में जाति, सांप्रदायिक या धार्मिक भावनाओं को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है। उन्होंने कहा कि थरूर के बयान सामान्य थे और इससे उन्हें ऐसी भावनाओं को लक्षित करने का इरादा नहीं दिखाया गया। शशि थरूर को चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के माद्यनजर भविष्य में अपुष्ट आरोप न लगाने की सख्त चेतावनी दी गई है।
आयोग ने साक्षात्कार लेने वाले टीवी चैनल को भी निर्देश दिया कि आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों का पालन करते हुए साक्षात्कार के विवादित हिस्सों का प्रसारण न करें। इस मामले में केंद्रीय राज्य मंत्री चंद्रशेखर ने पहले ही थरूर को कानूनी नोटिस भेजा है, जिसमें उन्हें सभी आरोपों को वापस लेने का निर्देश दिया गया है।