भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों पर कार्रवाई कर रही ईडी के समन की दो राज्यों के मुख्यमंत्री और एक राज्य के उपमुख्यमंत्री लगातार अनदेखी कर रहे हैं। ईडी के पास समन की बार-बार अनदेखी करने पर कार्रवाई के अधिकार हैं लेकिन उसकी सीमाएं भी हैं। इस कारण हेमंत सोरेन अरविंद केजरीवाल और तेजस्वी के मामले में उसके हाथ बंधे हुए हैं।
रांची: भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों पर ईडी के समन को लेकर राजनीतिक नेताओं के अनदेखी रवैये के बारे में चर्चा चर्चा में है। इस मामले में हेमंत सोरेन, अरविंद केजरीवाल, और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्री के हाथ बंधे हुए हैं।
हेमंत सोरेन को झारखंड में कई समनों के बावजूद जवाब देने के लिए ईडी के सामने नहीं आना पड़ा है। रांची में जमीन घोटाले मामले में ईडी ने उन्हें पूरे परिवार की संपत्ति के विवरण के साथ आने को कहा है। हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती भी दी है, लेकिन वहाँ से भी उन्हें राहत नहीं मिली।
अरविंद केजरीवाल दिल्ली में शराब घोटाले के मामले में भी ईडी के समन का जवाब नहीं दे पा रहे हैं। बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को भी लैंड फार जाब घोटाले में ईडी ने समन भेजा है। इन नेताओं के खिलाफ समन न आने पर आगे की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं।
धारा-19 के तहत ईडी के पास अधिकार है कि तीन समन के बाद भी अगर कोई नहीं जाता है तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए प्रमाणों की आवश्यकता होती है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बारे में राय दी है कि समन आने पर भी गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता, जब तक अधिकारी को यह सत्यापन नहीं होता कि आरोपी अपराध में संलिप्त है।