दमोह की गंगा जमुना स्कूल के हिजाब पोस्टर मामले में अब मुख्यमंत्री शिवराज एक्शन में आ गए हैं। सीएम ने प्रदेश के सभी स्कूलों में शिक्षा की जांच के आदेश दे दिए हैं।
भोपाल, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दमोह के स्कूल में हिंदू छात्राओं को हिजाब पहनाए जाने वाले मामले में उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दिए है।
मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में कुछ जगह धर्मांतरण के कुचक्र चल रहे हैं, हम उनको कामयाब नहीं होने देंगे। पूरे प्रदेश में हमने जांच के भी निर्देश दिए हैं, खासतौर पर जो शिक्षण संस्थान हैं, चाहे मदरसे चलते हों या स्कूल।
अगर गलत ढंग से शिक्षा भी दी जा रही होगी, तो हम उसको भी चेक करेंगे। सीएम ने आगे कहा कि दमोह की गंभीर घटना पर हमारे पास रिपोर्ट आ रही है। दो बेटियों ने भी बयान दिए हैं, उन्हें बाध्य किया गया है, ये बहुत गंभीर मामला है। हम एफआईआर कर रहे हैं। एक बात साफ है कि किसी भी बच्चे को अलग प्रकार की ड्रेस, चाहे हिजाब हो या कुछ और, पहनने या बांधने को बाध्य नहीं किया जा सकता।
ऐसे मामलों में कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच की रिपोर्ट आने दीजिए। जो सच सामने आएगा, उसके आधार पर कार्रवाई होगी।
दरअसल, दमोह जिले के गंगा जमुना स्कूल में हिंदू छात्राओं को हिजाब पहनाए जाने का मामला पिछले दिनों सामने आया था। उसके बाद शुरू हुई जांच में स्कूल में धर्मांतरण संबंधी कई प्रकार की अनियमितताएं सामने आईं। यहां हिंदू बच्चों को जबरदस्ती नमाज पढ़ाए जाने के आरोप भी लग रहे हैं।
मुख्यमंत्री के सख्त तेवर के बाद मामले की जांच शुरू हुई और स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूल की मान्यता भी निलंबित कर दी है। प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने गंगा जमुना स्कूल पर मंगलवार को धर्मांतरण कराने का गंभीर आरोप लगाया था। साथ ही उन्होंने स्कूल के कनेक्शन आतंकियों से होने का संदेह जताया था।
स्कूल शिक्षा मंत्री परमार कहा था कि नाबालिग बेटे और बेटी किसी स्कूल में आते हैं, और उनकी घरवापसी नहीं होती है, तो इसका मतलब कुछ गड़बड़ है। ऐसे मामलों में जांच कराने के बाद अगर दोष सामने आएगा, तो इस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना के बाद यह मामला राज्य और केंद्र सरकार के बीच बड़े विवाद का केंद्र बन गया है। केंद्र सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि यह घटना संविधानिक अधिकारों के उल्लंघन का मामला है और इसे जांच कराना अत्यावश्यक है।
इसके विपरीत, मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की मांग को नकारा है और कहा है कि वह खुद इस मामले की जांच करने की क्षमता रखती है। यह मामला अब उच्चतम न्यायालय में भी पहुंच चुका है और वहां पर आगामी सुनवाई की तारीख तय की जा चुकी है।
सभी इस घटना की जांच के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं और मामले में दोषी या दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं। यह मामला बच्चों के अधिकार और स्वतंत्रता के महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी प्रकाश डालता है और सामाजिक संरचना में समानता और समरसता की महत्वता को बताता है।