मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से शिष्टाचार भेंट करके उत्तराखंड के विकास में उनके मार्गदर्शन और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को स्थानीय भांग के रेशे की शॉल बेडू के उत्पाद तथा नंदादेवी राजजात की परम्परागत वाद्ययंत्रो ढोल, दमाऊं, रंणसिंघा युक्त प्रतिकृति भी भेंट की।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट की। मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड के विकास के लिए प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और केंद्र सरकार के सहयोग के लिये देवभूमि उत्तराखंड की जनता की ओर से आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून में सड़कों पर परिवहन के दबाव को एक अत्याधुनिक एवं ग्रीन मास रैपिड ट्रांजिट प्रणाली द्वारा कम करने और जनमानस को सुरक्षित यातायात की सुविधा उपलब्ध कराने के दृष्टिगत देहरादून मेट्रो नियो परियोजना प्रस्तावित की गई थी। विस्तृत तकनीकी अध्ययन के उपरांत इस परियोजना की डी०पी०आर० को भारत सरकार से अनुमोदन प्राप्त किया गया था।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से परियोजना के प्रस्ताव पर अनुमोदन प्रदान किये जाने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने ऑलवेदर रोड चारधाम सड़क परियोजना के लिए भी आभार व्यक्त किया। वर्ष 2023 के लिए केन्द्रीय सड़क अवसंरचना निधि (सी०आर०आई०एफ०) के कार्यों हेतु प्रदेश के जनप्रतिनिधियों से प्राप्त कुल 155 कार्यों के रू0 2550.15 करोड़ के प्रस्तावों पर स्वीकृति प्रदान किये जाने का अनुरोध भी किया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत वर्षों से राज्य में पर्यटकों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होने से राज्य मार्गों में यातायात दवाब में बढ़ोत्तरी हुई है और राज्य मार्गों को उच्चीकृत किया जाना नितांत आवश्यक है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में ही 06 मार्गों को राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में उच्चीकृत किये जाने की सैद्धांतिक सहमति दी गई थी। इसके अतिरिक्त 189 किमी0 के काठगोदाम- भीमताल ध्यानाचुली-मोरनोला- खेतीखान लोहाघाट-पंचेश्वर मोटर मार्ग को पर्यटन / सैन्य आवागमन एवं आम जनमानस के लिए नितान्त उपयोगी होने के दृष्टिगत राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में अधिसूचित किया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत-नेपाल सीमा पर टनकपुर से पिथौरागढ़ तक दो लेन मार्ग का निर्माण चारधाम परियोजना के अन्तर्गत निर्मित है। पिथौरागढ़ से लिपुलेख तक की सीमा मार्ग को बी0आर0ओ0 द्वारा विकसित कर दिया गया है। पिथौरागढ़-लिपुलेख मार्ग में स्थित गुंजी गांव से जौलिंगकांग तक के भाग को भी बी०आर०ओ० द्वारा निर्मित कर लिया गया है। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग, जोशीमठ, लप्थल- बारहहोटी तक 02-लेन राष्ट्रीय राजमार्ग का काम भी लगभग पूर्ण हो चुका है। भारत-चीन सीमा में वर्तमान में कोई ऐसा मार्ग नहीं है जो जनपद पिथौरागढ़ के जौलिंगकांग आई०टी०बी०पी० पोस्ट को जनपद चमोली के लप्थल से आई०टी०बी०पी० पोस्ट को सीधे संयोजित करता है। अतः सामरिक रूप से अतिमहत्वपूर्ण टनल मार्गों के निर्माण से उक्त दोनों सीमा पोस्ट की दूरी 404 कि०मी० कम होने के साथ-साथ पर्यटन एवं सीमा प्रबंधन की दृष्टि से भी उपयोगी होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मानसखण्ड में स्थित पौराणिक मंदिरों में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को दृष्टिगत रखते हुए प्रथम चरण में 16 मंदिरों के समग्र विकास का कार्य किया जा रहा था। इस सम्बन्ध में पूर्व से निर्मित 1 लेन सड़क मार्गों को 02 लेन में परिवर्तित किये जाने की कार्यवाही गतिमान थी। भूमि अधिग्रहण, वनभूमि हस्तांतरण आदि की कार्यवाही राज्य सरकार द्वारा अपने संसाधनों से की जा रही थी। प्रथम चरण में निर्माण कार्य हेतु लगभग रू0 1000 करोड़ की आवश्यकता होगी। उक्त धनराशि भारत सरकार के किसी भी मंत्रालय (सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार, पर्यटन मंत्रालय एवं संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) से राज्य सरकार को उपलब्ध कराये जाने का अनुरोध था।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से प्रदेश की विभिन्न विकास योजनाओं के साथ सड़कों एवं परिवहन के संबंध में भी चर्चा की थी और अपने आपदा की स्थिति और सरकारी योजनाओं के विकास पर प्रधानमंत्री को अवगत कराया था। उन्होंने सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा सी.आर.आई.एफ (Central Road and Infrastructure Fund) से 250 करोड़ रुपये के कार्यों की स्वीकृति के बारे में बताया था। इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री से देहरादून शहर की 2050 तक की पेयजल समस्या का समाधान करने के लिए सौंग बांध के निर्माण की भी स्वीकृति के लिए अनुरोध किया था।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से विदेशी निवेश सम्मेलन में प्रदेश की भागीदारी के बारे में भी चर्चा की थी। इस सम्मेलन में प्रदेश को विश्वस्तरीय निवेशकों के साथ अपने विकास योजनाओं का प्रस्तुतीकरण करने का उद्देश्य था।
यह सभी विकासी योजनाएं और सहायता विभिन्न क्षेत्रों में उत्तराखंड के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके माध्यम से, राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा मिलेगा और इससे पर्यटकों का आकर्षण भी बढ़ेगा। इससे प्रदेश की आर्थिक विकास और विकास की गति में सुधार हो सकता है।