राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन में सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि खरीद-फरोख्त के जरिए चुनी हुई सरकारों को गिराने की परंपरा देश के लिए चिंता का विषय है, जनप्रतिनिधियों का कर्तव्य है कि वे पार्टी और जनता के लिए काम करे।
मुंबई : राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुंबई में 15 से 17 जून तक आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजनीति सेवा का माध्यम होती है और राजनीति में आने के बाद जनप्रतिनिधि का धर्म होता है पूरी ईमानदारी, निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ जनता की सेवा करना। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन में पूरे देश के विधायकों के संवाद का महत्व लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है। सम्मेलन में विधानसभा और विधान परिषद की 25 वर्ष बाद की जिम्मेदारियों पर चर्चा करना और पार्टी की विचारधारा को छोड़कर एकता और समरसता के लिए समर्पित होना एक अच्छी शुरुआत है।
सीएम गहलोत ने कहा कि 125 करोड़ की जनसंख्या वाले देश को चलाने की जिम्मेदारी करीब पांच हजार विधायकों-सांसदों पर है। इनके नेतृत्व, गुण, प्रतिबद्धता और जीवनशैली से देश की जनता के बीच सीधा संदेश जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनीति में किसी भी पद पर जाने के बाद नम्रता और सादगी बनी रहनी चाहिए, जिससे हम नई पीढ़ी को प्रेरित कर पाएंगे। सीएम गहलोत ने आगे कहा कि अन्याय और भ्रष्टाचार करने वाला चाहे कितना भी करीबी हो, हमें उसका साथ नहीं देना चाहिए। इससे जनप्रतिनिधियों की विश्वसनीयता बनी रहेगी और हम सुशासन दे पाएंगे।
सीएम ने कहा कि वर्तमान समय में होर्स ट्रेडिंग के माध्यम से चुनी हुई सरकार गिराने की गलत परंपरा बन चुकी है। ये पूरे देश के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों का यह कर्तव्य है कि वे किसी भी कीमत पर दल बदल न करें और अपनी पार्टी के प्रति पूरी निष्ठा और समर्पण बनाए रखें। मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी हमारे देश में लोकतंत्र कायम है। पूरी दुनिया में भारत की इसी लोकतांत्रिक मजबूती के कारण अलग पहचान और सम्मान है। इसलिए लोकतंत्र को बचाए रखना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष में विचारधारा की लड़ाई होती है और इसे निजी रूप नहीं देना चाहिए।