छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि है कि भाजपा नेताओं की बेटियां करें तो लव है और दूसरे की करें तो जिहाद है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भाजपा प्रदेश में केवल दो मुद्दों पर चुनाव लड़ना चाहती है।
रायपुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष सरकार पर शराबबंदी के वादे को लेकर हमलावर है। कई मौकों पर और विरोध प्रदर्शन के दौरान विपक्ष ने सरकार को शराबबंदी के मुद्दे पर घेरा है।
6 जून को भाजयुमो ने रायपुर की सड़कों पर सीएम भूपेश और पूरी कैबिनेट के मंत्रियों का मुखौटा लगाकर शराबबंदी को लेकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में सीएम भूपेश के मुखौटा पहने प्रदर्शनकारी को घोड़ी में बिठाकर चखना सेंटर के साथ बारात निकाली गई थी।
ऐसे में ये साफ हो चुका है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में शराबबंदी का मुद्दा बीजेपी पूरे जोर शोर से उठाएगी। इसी बीच शराबबंदी को लेकर हो रहे प्रदर्शन और सरकार के वादे को लेकर सीएम भूपेश ने बयान दिया है और कहा कि शराबबंदी होनी चाहिए, लेकिन पहले समाज स्वीकारे। सीएम भूपेश बघेल ने शराबबंदी के मुद्दे पर कहा कि “मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगा, जिससे लोगों की जान चली जाए, मैं चाहता हूं शराबबंदी, नशाबंदी होनी चाहिए। गुटखा, गांजा समेत सारी चीजें बंद होनी चाहिए। उसके लिए वातावरण बनाना चाहिए। जब समाज में इस प्रकार से वातावरण बन जाएगा तो निश्चित रूप से होगा। गुजरात और बिहार में लोग जहरीली शराब पीकर मर गए। लॉकडाउन के समय रायपुर में सैनिटाइजर पीकर मौत के मामले सामने आए। बिलासपुर में इस तरह से घटना हुई। ऐसा नहीं है कि हमने कहा है तो उसको कर ही देना है। वो 1 दिन की बात है कि आज से शराब दुकान बंद। ये बोलने में कितना देर लगती है। निर्णय में कितना देर लगता है, लेकिन इसका इंपैक्ट क्या होगा। ये सामाजिक बुराई है, दूसरी चीजों की बात अलग है। सामाजिक बुराई को जब तक समाज सामने आकर हाथ मेंना लें, वहीं सीएम भूपेश भाजयुमो के प्रदर्शन पर चुटकी ली है।
सीएम भूपेश की मानें तो प्रदेश में बीजेपी के पास कोई मुद्दा बचा नहीं है। इसलिए भाजयुमो ने इस तरह का प्रदर्शन बेमन से किया है। वहीं बीजेपी के लोगों ने जाकर गाय को खोजा है। जबकि वो लोग वोट खोजने गए थे। बीजेपी के लिए राम का नाम सिर्फ वोट है। इसके अलावा कोई मतलब नहीं है। इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ में अधिकारियों के यहां पर पड़ रही ईडी की रेड पर भी बयान दिया और कहा कि ईडी के अधिकारी अब छत्तीसगढ़ में रहने लगे हैं। इसके अलावा उन्होंने अपने बच्चों को छत्तीसगढ़ में स्कूल भी भेज दिया है।
यह सभी बयान और प्रदर्शन विपक्ष के तरफ से आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए रणनीतिक चाल हो सकती हैं जो विपक्ष की सरकार पर दबाव डालने का प्रयास हो सकता है। शराबबंदी एक विवादास्पद मुद्दा होता है और इसके पीछे सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और नैतिक पहलू हो सकते हैं। इसे विपक्ष भाजपा द्वारा उठाया जा रहा है और यह उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है। विधानसभा चुनाव के समय विपक्ष इस मुद्दे को आगे बढ़ाकर सरकार को घेरने का प्रयास करेगा।